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विचार: तोगड़ि‍या जी, ये घर से आना-जाना तो लगा रहेगा

विश्व हिंदू परिषद के नेता प्रवीण तोगड़‍िया ने रविवार को जो भाषण दिया, वह चौंकाने वाला था. इसलिए नहीं कि वे धर्म परिवर्तन या घर वापसी का नारा बुलंद कर रहे थे. बल्कि उन्होंने इसकी भूमिका बनाने के लिए जो तर्क दिए, वह बेसिर-पैर के नजर आए.

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जिन्हें घर वापस लाना है, उनके कई सवाल हैं तोगड़‍िया जी
जिन्हें घर वापस लाना है, उनके कई सवाल हैं तोगड़‍िया जी

विश्व हिंदू परिषद के नेता प्रवीण तोगड़‍िया ने रविवार को जो भाषण दिया, वह चौंकाने वाला था. इसलिए नहीं कि वे धर्म परिवर्तन या घर वापसी का नारा बुलंद कर रहे थे. बल्कि उन्होंने इसकी भूमिका बनाने के लिए जो तर्क दिए, वह बेसिर-पैर के नजर आए. आइए सिलसिलेवार देखते हैं-

1. कभी पूरी दुनिया में सिर्फ हिंदू रहा करते थे...
चीन में ह्वांग-हो नदी के किनारे या मिस्र में नील नदी के किनारे विकसित हुई सभ्यता में तो ऐसा कोई निशान नहीं मिला.

2. हिंदुओं की आबादी को देश में 82% से 100% तक ले जाएंगे...
तो ये 18% क्या कहलाएंगे. ब्राह्मण, क्षत्रीय, वैश्य या शूद्र. समाज में इनका ओहदा कहां होगा. क्या मंदिर जा पाएंगे? और जो हिंदू अभी मंदिर नहीं जा पा रहे हैं, उनका क्या?

3. मैं एक हजार साल आगे तक के लिए हिंदुओं को सुरक्षित कर देना चाहता हूं...
तोगड़ि‍या जी ने यदि हजार साल कहा है तो कुछ सोचकर ही कहा होगा. वैसे सरकारों को देखा है कि वे अपने पांच साल के प्रोग्राम पर भी कायम नहीं रह पातीं.

4. जबरिया मुस्लिम और ईसाई बनाने से हिंदू असुरक्षित...
बिल्कुल ठीक है. लेकिन इतिहास में ऐसा कई बार हुआ, जब ऊंच-नीच या भेदभाव से त्रस्त लोगों ने बौद्ध और जैन धर्म अपना लिया. जबरन तो कुछ हुआ नहीं, लोग दूसरे संप्रदायों में चले गए.

5. 700 करोड़ हिंदू होते, लेकिन 100 करोड़ ही हैं...
जिन्हें धर्म का प्रचार-प्रसार करना था, उन्होंने वह काम कारोबार फैलाने की तरह किया. पहले आकर्षक बाजार देखे, प्रतियोगिता की कमजोरी पकड़ी और फैलते चले गए.
तो तोगड़‍िया जी, यही किया जा सकता है कि जो जहां मिले उसका स्तर ऊपर उठाएं. फिर जिसे जिस घर जाना होगा, चला ही जाएगा. और किसी के मन में क्या है कोई जान सका है भला?

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