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सबने माना... इसलिए आप हैं श्रीश्री

श्रीश्री रविशंकर की संस्था आर्ट ऑफ लिविंग (एओएल) देश के एक बड़े वर्ग में अपना प्रभाव रखती है. केंद्र सरकार इस बात से भली भांति परिचित है. जबकि गाहे-बगाहे नरेंद्र मोदी की सरकार पर मामले में श्रीश्री को लेकर नरम रुख अपनाने की बात भी सामने आती रही है.

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श्रीश्री रविशंकर
श्रीश्री रविशंकर

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राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में यमुना किनारे आयोजित हो रहे तीन दिवसीय 'वर्ल्ड कल्चर फेस्टि‍वल' दो कारणों से चर्चा में है. पहला पर्यावरण को लेकर जुड़ा विवाद और दूसरी इसकी भव्यता. तमाम तामझाम और सुनवाई से लेकर कार्रवाई की खबरों के बीच एनजीटी ने भी जुर्माने के साथ ही सही श्रीश्री रविशंकर के इस कार्यक्रम को अनुमति दे दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका उद्धाटन करेंगे. लेकिन बीते कुछ दिनों में श्रीश्री को लेकर जिस तरह सियासी सुर सामने आए हैं, इसमें कोई दोराय नहीं है कि उनके कद में वृद्धि‍ ही हई है.

गृह मंत्री से लेकर संसदीय कार्यमंत्री तक सब कायल
श्रीश्री रविशंकर की संस्था आर्ट ऑफ लिविंग (एओएल) देश के एक बड़े वर्ग में अपना प्रभाव रखती है. केंद्र सरकार इस बात से भली भांति परिचित है. जबकि गाहे-बगाहे नरेंद्र मोदी की सरकार पर मामले में श्रीश्री को लेकर नरम रुख अपनाने की बात भी सामने आती रही है. लोकसभा चुनाव से लेकर शनि शिंगणापुर मामले तक श्रीश्री कहीं न कहीं मोदी सरकार और बीजेपी के लिए सकारात्मक माहौल बनाने में कामयाब रहे हैं और यह बात किसी से छुपी नहीं है.

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शुक्रवार को गृह मंत्री राजनाथ सिंह लेकर संसदीय कार्यमंत्री वेंकैया नायडू तक ने श्रीश्री रविशंकर के कद और सम्मान को अपने बयान से जाहिर किया. वेंकैया नायडू ने कहा कि भारत में हिंदुओं और भारतीयों की आलोचना करना फैशन बन गया है. जाहिर है वह श्रीश्री और उनके जीवन जीने की कला यानी आर्ट ऑफ लिविंग को देश और भारतीयों की अस्म‍िता मानकर चल रहे हैं. क्योंकि देश के आगे पर्यावरण संभवत: गौण हो जाता है.

दूसरी ओर, गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने अपनी ओर से श्रीश्री और उनके कार्यक्रम को लेकर सारे विवाद को ही खारिज कर दिया. सिंह ने कहा, 'कोई विवाद नहीं है. श्रीश्री रविशंकर विवादास्पद मुद्दों को हल करने के लिए जाने जाते हैं.'

जम्मू-कश्मीर से भी आई आवाज
श्रीश्री तीन दिनों तक दुनिया की जिस सभ्यता और संस्कृति का उत्सव मनाने वाले हैं, उसमें दुनियाभर से 35 लाख लोगों के आने की संभावना बताई जा रही है. शायद यही कारण है कि उनके पक्ष में कश्मीर से भी आवाज आई है. नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने तो श्रीश्री के गुरुवार के बयान को सही ठहराते हुए कहा कि उन्हें जुर्माना देने की जरूरत नहीं है. अब्दुला ने कहा, 'वो पैसे क्यों भरें? वह जो भी कर रहे हैं वह हिंदुस्तान को प्रमोट करने के लिए कर रहे हैं.'

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श्रीश्री का अंदाज और एनजीटी का फैसला
सबसे पहले एनजीटी ने गुरुवार शाम तक आर्ट ऑफ लिविंग को 5 करोड़ रुपये बतौर जुर्माना अदा करने के आदेश दिए. कहा गया कि अगर यह राशि‍ जमा नहीं की गई तो कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी जाएगी. श्रीश्री ने एक इंटरव्यू में बयान दिया कि वह जेल जाना पसंद करेंगे, लेकिन जुर्माना नहीं देंगे. शाम के 4 बजे तो ट्रिब्यूनल ने पैसे जमा करने के लिए शुक्रवार शाम तक का समय दिया. शुक्रवार को सुनवाई शुरू हुई तो एओएल संस्था की ओर से कहा गया कि वह इतनी जल्दी जुर्माने की इतनी बड़ी रकम नहीं भर सकती. ट्रिब्यूनल ने अब पैसे जमा करने के लिए एओएल की मांग को मांगते हुए 4 हफ्तों का समय दिया है. यही नहीं, राशि दो किश्तों में जमा करने की भी सुविधा दी गई है. इसके तहत शुक्रवार शाम तक महज 25 लाख रुपये जमा करना है. यानी पूरे मामले में श्रीश्री के बदले ट्रिब्यूनल को ही उनकी सहूलियत को खयाल रखना पड़ा.

श्रीश्री का बयान और उनका 'उच्च कद'
शुक्रवार को सुनवाई के दौरान चर्चा श्रीश्री रविशंकर के उस बयान की भी हुई,‍ जिसमें उन्होंने जुर्माना नहीं भरने की बात कही. लेकिन सवाल करने के बाद एनजीटी की टिप्पणी कुछ इस तरह रही, 'इस तरह के बयान की एक उच्च कद के व्यक्ति से उम्मीद नहीं है, वो जो आर्ट ऑफ लिविंग जैसी संस्था के संस्थापक हैं.'

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