'हुदहुद' के आने के साथ ही चक्रवातों के नामकरण को लेकर लोगों में उत्सुकता है. क्या आफ जानते हैं कि इन तूफानों के नाम कौन रखता है?
इसकी शुरुआत अटलांटिक क्षेत्र में 1953 में एक संधि के माध्यम से हुई थी और हिंद महासागर क्षेत्र के आठ देशों ने भारत की पहल पर 2004 से चक्रवातीय तूफान का नाम देने के इंतजाम शुरू किए. इसके तहत सदस्य देशों की ओर से पहले से सुझाए गए नामों में से इन नामों का चयन किया जाता है. कैटरीना, लीसा, लैरी, हिकाका, बुलबुल, फालीन, हुदहुद, जैसे चक्रवात की भयावहता के बीच इनके अनोखे नाम हमेशा से ही लोगों के बीच उत्सुकता का विषय रहे हैं.
1953 से जारी है नामकरण की परंपरा
भारतीय मौसम विभाग के पूर्व महानिदेशक अजीत त्यागी ने बताया कि अटलांटिक क्षेत्र में हरिकेन और चक्रवात का नाम देने की परंपरा 1953 से ही जारी है जो मियामी स्थित नेशनल हरिकेन सेंटर की पहल पर शुरू हुई थी. इसकी देखरेख जिनेवा स्थित विश्व मौसम संगठन करता है.
उन्होंने कहा कि हिन्द महासागर क्षेत्र में यह व्यवस्था साल 2004 में शुरू हुई जब भारत की पहल पर आठ तटीय देशों ने इस बारे में समझौता किया. इन देशों में भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, म्यामांर, मालदीव, श्रीलंका, ओमान और थाईलैंड शामिल हैं.
त्यागी ने इस बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया, ‘इन आठों देशों की ओर से अपनी अपनी पसंद के अनुरूप नाम सुझाए गए हैं. अंग्रेजी वर्णमाला के मुताबिक, सदस्य देशों के नाम के पहले अक्षर के अनुसार उनका क्रम तय किया गया है और उसी क्रम में इनकी ओर से सुझाये गए नामों के अनुसार चक्रवातों के नाम रखे जाते हैं.’
ओमान ने सुझाया 'हुदहुद'
त्यागी ने उदाहरण देते हुए कहा कि मसलन, इस क्षेत्र में पिछला चक्रवात नानुक आया था जो म्यामांर की ओर से सुझाए गए नाम पर रखा गया था. क्रमानुसार पिछली बार म्यामांर की बारी थी जबकि इस बार ओमान की बारी थी और ‘हुदहुद’ नाम ओमान की ओर से सुझाए गए नामों की सूची में से आया है. इससे पहले आये ‘पिलिन’ चक्रवात का नाम थाइलैंड की ओर से सुझाया गया था. उन्होंने कहा कि इसी तरह से अगले चक्रवात का नाम पाकिस्तान की ओर से सुझाए गए नामों में से रखा जाएगा.
त्यागी ने कहा कि भारत की ओर से सुझाए गए नामों में ‘मेघ, वायु, सागर, अग्नि’ आदि शामिल हैं. साल 2004 से पहले हिन्द महासगर क्षेत्र में चक्रवात का नाम नहीं रखा जाता था और तारीख के अनुसार इन्हें संबोधित किया जाता था.
आईएमडी के पूर्व महानिदेशक ने बताया कि हिन्द महासागर के आठों सदस्य देशों ने अपनी अपनी ओर से नाम सुझाए हैं और अब तक चक्रवात के करीब 64 नामों को सूचीबद्ध किया जा चुका है. उन्होंने बताया कि कुछ समय पहले जब क्रम के अनुसार भारत की बारी थी तब ऐसे ही एक चक्रवात का नाम भारत की ओर से सुझाए गए नामों में से एक ‘लहर’ रखा गया था.