दिल्ली-एनसीआर, उत्तराखंड और हिमाचल समेत कई इलाके में बुधवार रात करीब नौ बजे 5.5 तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए. अब सवाल यह है कि भूकंप की असली वजह टेक्टोनिकल प्लेटों में तेज हलचल होती है. इतना ही नहीं, उल्का प्रभाव और ज्वालामुखी विस्फोट, माइन टेस्टिंग और न्यूक्लियर टेस्टिंग की वजह से भी भूकंप आते हैं.
दुनिया भर में हर साल करीब लाखों भूकंप आते हैं, लेकिन इनकी तीव्रता कम होती है. इस वजह से इनको हम महसूस नहीं कर पाते हैं. नेशनल अर्थक्वेक इंफोर्मेशन सेंटर हर साल करीब 20,000 भूकंप रिकॉर्ड करता है, जिसमें से 100 भूकंप ऐसे होते हैं, जिनसे नुकसान होता है.
ऐसे मापते हैं भूकंप की तीव्रता
भूकंप की तीव्रता और अवधि का पता लगाने के लिए सिस्मोग्राफ का इस्तेमाल किया जाता है. इस यंत्र के जरिए धरती में होने वाली हलचल का ग्राफ बनाया जाता है, जिसे सिस्मोग्राम कहते हैं. इसके आधार पर गणितीय पैमाना (रिक्टर पैमाना) के जरिए भूकंप की तरंगों की तीव्रता, भूकंप का केंद्र और इससे निकलने वाली ऊर्जा का पता लगाया जाता है.
सिस्मोग्राफ का एक हिस्सा ऐसा होता है, जो भूकंप आने पर भी नहीं हिलता और अन्य हिस्से हिलने लगते हैं. जो हिस्सा नहीं हिलता है, वो भूकंप की तीव्रता को रिकॉर्ड करता रहता है. इसी के आधार पर सिस्मोग्राम तैयार होता है, जो भूकंप की सटीक जानकारी हासिल करने में मदद करता है.
इसको मापने वाले रिक्टर स्केल का विकास अमेरिकी वैज्ञानिक चार्ल्स रिक्टर ने साल 1935 में किया था. रिक्टर स्केल पर प्रत्येक अगली इकाई पिछली इकाई की तुलना में 10 गुना अधिक तीव्रता रखती है. इस स्केल पर 2.0 या 3.0 की तीव्रता का भूकंप हल्का होता है, जबकि 6.2 की तीव्रता का मतलब शक्तिशाली भूकंप होता है.
2018 में आ सकते हैं भयानक भूकंप, पृथ्वी में हो रहे हैं ये बदलाव
साल 2018 में दुनिया के कई हिस्सों में भयानक भूकंप तबाही मचा सकते हैं . भूकंप पर रिसर्च कर रही जियोलॉजिकल सोसायटी ऑफ अमेरिका के वैज्ञानिकों ने यह चेतावनी जारी की है. इनका कहना है कि पृथ्वी के घूमने की रफ्तार में बदलाव आ रहा है, जिसके चलते भूकंप के आने की आशंका है.
पृथ्वी के घूमने की रफ्तार से भी है भूकंप का संबंध
रिपोर्ट के मुताबिक पृथ्वी के घूमने की रफ्तार से भी भूकंप का संबंध होता है. यह निष्कर्ष अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो के रोजर बिल्हम और यूनिवर्सिटी ऑफ मोंटाना की रेबेका बेंडिक ने भूकंप पर हुई रिसर्च में निकाला है. दोनों वैज्ञानिकों ने इस रिसर्च के लिए 1900 साल पहले आए सभी बड़े भूकंपों का गहन अध्ययन किया. इनके मुताबिक बीते पांच साल में दुनिया में धरती के अंदर उथल-पुथल की घटनाएं बढ़ी हैं.
पहले भी इसी वजह से आए थे भूकंप
वैज्ञानिकों का कहना है कि पिछली सदी में पृथ्वी की घूमने की रफ़्तार के फर्क आने के कारण करीब पांच बार 7.0 तीव्रता के भूकंप आए थे. इस सदी में भी बीते पांच साल में दुनिया भर में धरती के अंदर उथल-पुथल की घटनाएं हुई है. जिसके चलते अंदेशा लगाया जा रह है कि 2018 में बड़े भूकंप आ सकते हैं. हालांकि, किन इलाकों में भूकंप आएंगे यह रिसर्च में साफ़ नहीं हो सका है. लेकिन यह जरूर देखा गया है कि भूमध्य रेखा के आसपास के इलाकों में दिन की लंबाई छोटी-बड़ी हो रही है.