प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब 'मन की बात' कार्यक्रम के जरिए नियमित रूप से लोगों तक अपनी बात पहुंचाने का ऐलान किया था, तब यह उम्मीद जगी थी कि पब्लिक अहम मुद्दों पर पीएम के नजरिए से वाकिफ हो सकेगी. पर अब इस प्रोग्राम पर सवाल उठने लगे हैं.
किसी भी प्रधानमंत्री से जनता यही अपेक्षा करती है कि वह बताए कि देश किस रास्ते आगे बढ़ेगा और मौजूदा समस्याओं से निबटने के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है. इस तरह की नीतियां तय करने की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री और उसके मंत्रिमंडल पर ही होती है. यही वजह है कि पब्लिक पीएम को खूब गौर से सुनती है और मौन रहने वाले पीएम को 'मौनी बाबा' कहकर कोसती है.
जनता जब 'मन की बात' सुनना शुरू करती है, तो उसकी दिलचस्पी समसामयिक और ज्वलंत मुद्दों पर पीएम की राय जानने की ओर होती है. लेकिन होता है इसके उलट. लोग मजबूरन वह सुनते हैं, जिसे बताने में पीएम मोदी की दिलचस्पी होती है. जाहिर है, किसी भी पीएम की दिलचस्पी अपने कामकाज का बखान करने और 'कथित कामयाबी' का ढिंढोरा पीटने में ही होती है. मोदी उन मुद्दों पर बोलने से साफ बचते नजर आते हैं, जिस पर बोलना उन्हें सियासत के लिहाज से भाता नहीं है.
गुजरात में आरक्षण की आग और हिंसा से पीएम दुखी हैं या हो सकते हैं, यह अंदाजा किसे नहीं था? केवल इतना कहने से बात खत्म! यह तो बताइए कि आरक्षण पर सरकार की नीति क्या है? पटेल आरक्षण हो जाट आरक्षण, आपका मत क्या है? इस तरह के विवादास्पद मुद्दों पर अगर गुजरात या देश के किसी अन्य भाग में भावनाएं भड़कती हैं और हिंसा की आग फैलती है, तो सरकार क्या करेगी? इन सारे सवालों का जवाब क्या मौन ही है?
देशभर में फसलों के नुकसान के बाद किसानों की आत्महत्या की घटनाएं थम नहीं रही हैं. मुआवजा न मिलना या वाजिब मुआवजा न मिलना बड़ी समस्या है. इसके निदान के लिए क्या ठोस कदम उठाए जा रहे हैं. क्या इसका जवाब यह हो सकता है, 'जय जवान, जय किसान हमारे लिए नारा नहीं, बल्कि मंत्र है.'?
एक-दो नहीं, ऐसे ढेरों मुद्दे बिना खोजे मिल जाएंगे, जिस पर पीएम मोदी को बोलना चाहिए. रिपोर्ट के मुताबिक, शुरू-शुरू में 'मन की बात' के लिए जितनी चिट्ठियां भेजी जाती थीं, अब उसका महज 15-20 फीसदी ही भेजी जाती हैं. प्रोग्राम की लोकप्रियता में किस कदर गिरावट आई है, इससे साफ जाहिर हो जाता है.
हुजूर, अपने देश में हल्के-फुल्के मुद्दों पर राय-मशविरा देने के लिए गांव-गांव के मुखियाजी ही काफी होते हैं.