शीना बोरा मर्डर केस की मिस्ट्री धीरे-धीरे सुलझती नजर आ रही है. आरोपियों के बयानों और लगातार मिल रहे सुरागों से मर्डर की तस्वीर से धूल हट रही है. जंगल से शीना का कंकाल मिलने की कहानी भी बेहद अजीब है.
शीना बोरा हत्याकांड की जांच कर रही मुंबई पुलिस की टीम रायगढ़ जिला के पेण तहसील के एक ग्राम अधिकारी गणेश धेने की बहुत शुक्रगुजार होगी, जिन्होंने पुलिस को उस स्थान को खोजने में मदद की, जहां शीना के शव को 2012 में दफन किया गया था.
पुलिस, फॉरेंसिक विशेषज्ञों और ग्रामीणों के एक दल ने शुक्रवार को गांव के अधिकारी (पुलिस पाटिल) के साथ मिलकर सटीक स्थान की पहचान की, जहां कथित तौर पर शीना के शव को तीन साल पहले वहां जंगलों में फेंक दिया गया था. उस जगह से कंकाल के अवशेषों को खोदकर निकाला गया.
शुक्रवार सुबह मुंबई से पुलिस अधिकारियों और फॉरेंसिक विशेषज्ञों का दल पेण तहसील के गगोडे बुद्रुक गांव पहुंचा और सुबह 6 बजे के आसपास खुदाई शुरू हुई. हेतवने गांव के पुलिस पाटिल गणेश धेने ने उनकी मदद की, जो 23 मई, 2012 को उस समय स्थल पर मौजूद था, जब शव मिला था. उसी दिन पुलिस ने बाद में शव को दफन किया.
पुलिस पाटिल धेने ने याद किया कि 2012 में शव को एक आम के पेड़ के निकट दफनाया गया था, जिससे टीम को स्थान की पहचान करने और वहां पहुंचने में मदद मिली. दोपहर तक करीब दो फुट गहरी खुदाई करने पर ही दल को कंकाल का एक हिस्सा दिख गया. बंबई ग्राम पुलिस अधिनियम के तहत एक पुलिस पाटिल पुलिस विभाग और तालुका मजिस्ट्रेट के तहत सीधे काम करता है.
गांव की सीमा में किसी भी प्रकार की अपराधिक घटना होने पर वह तत्काल पुलिस थाना को सूचित करता है और अपराधी को पकड़ने में पुलिस अधिकारी को जरूरी मदद करता है.
कंकाल के अवशेषों को पैक करने के बाद शुक्रवार दोपहर दो बजे टीम मुंबई के लिए रवाना हो गई.
इनपुट: भाषा