इसरो ने शुक्रवार को सार्क सैटेलाइट जीसैट-9 लांच कर नया इतिहास रचा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर इसरो को बधाई देते हुए कहा कि दक्षिण एशियाई देशों के बीच संबंधों का नया क्षितिज खुला है. इससे सार्क देशों को आपदा प्रबंधन और संचार के क्षेत्र में काफी फायदा होगा. हालांकि इस प्रोजेक्ट में पाकिस्तान शामिल नहीं है. जानिए आखिर पाकिस्तान इस प्रोजेक्ट से कैसे बाहर हुआ.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब सार्क सैटेलाइट का आइडिया पड़ोसी देशों के समक्ष रखा. उस समय पाकिस्तान ने इस कदम का स्वागत किया. प्रधानमंत्री के विचार पर जोश भरी प्रतिक्रिया देते हुए नई दिल्ली में पाकिस्तान के उच्चायुक्त ने कहा कि उनका देश इस प्रस्ताव पर रचनात्मक सुझाव देगा.
हालांकि कुछ दिन बाद ही पाकिस्तान ने इस प्रोजेक्ट में साझीदार बनने की बात कही. पाकिस्तान ने इस पर जोर दिया कि उसे इसरो की टेक्निकल टीम का हिस्सा बनाया जाए. साथ ही उसने भारत के साथ इस प्रोजेक्ट का खर्च उठाने का भी प्रस्ताव रखा, जिसे भारत ने खारिज कर दिया. बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुरू से ही सार्क सैटेलाइट को पड़ोसी देशों के लिए गिफ्ट कहा था.
इसके बाद पाकिस्तान ने मांग रखी कि सैटेलाइट का कंट्रोल का सार्क देशों को दिया जाए न कि सिर्फ इसरो के पास रहे.
यही नहीं पाकिस्तान ने फिर सुरक्षा का मुद्दा उठाना शुरू कर दिया. उसने आरोप लगाया कि भारत इस उपग्रह के जरिए पड़ोसी देशों की संवेदनशील जानकारियां जुटा सकता है. भारत ने इस आरोप को भी खारिज कर दिया.
आखिरकार पाकिस्तान ने इस प्रोजेक्ट से खुद को अलग कर लिया. उनकी दलील थी कि उनके पास अपना अंतरिक्ष कार्यक्रम है. और उसे अपने राष्ट्रीय अंतरिक्ष कार्यक्रम पर फोकस करना है.