क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न से नवाजे जाने का मसला एक बार फिर गरमा सकता है. मीडिया में आई रिपोर्ट के मुताबिक शायद कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के कहने पर सचिन को जल्दबाजी में भारत रत्न देने की घोषणा की गई.
अंग्रेजी अखबार 'डीएनए' ने दावा किया है कि पिछले साल सचिन को भारत रत्न देने से संबंधित पूरी कागजी कार्रवाई महज पांच घंटे में पूरी की गई थी. खास बात यह है कि सचिन के नाम की सिफारिश भी किसी ने नहीं की थी. जबकि हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले ध्यानचंद के नाम पर फैसला पहले हो चुका है और इससे जुड़ी कागजी कार्रवाई भी पूरी हो चुकी थी.
अखबार ने लिखा है कि 14 नवंबर की दोपहर राहुल गांधी को अचानक लगा कि सचिन को लेकर देश भर में जबरदस्त उत्साह और सकारात्मक माहौल है. वह दिन उनके आखिरी टेस्ट का पहला दिन था. राहुल ने अपना चुनावी दौरा टाल कर मुंबई जाकर मैच देखने का फैसला किया. इसी दौरान उन्होंने सचिन को भारत रत्न देने के बारे में पीएमओ से बात की होगी.
14 नवंबर की दोपहर 1.35 बजे प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में एक चिट्ठी तैयार हुई. चिट्ठी में खेल मंत्रालय को तत्काल सचिन तेंदुलकर का बायोडाटा भेजने के लिए कहा गया था. ‘Urgent: Out Today’ लिख कर चिट्ठी रवाना की गई और खेल मंत्रालय से कुछ ही घंटे में सचिन का बायोडाटा पीएमओ पहुंच गया.
उसी दिन देर शाम तक प्रधानमंत्री के पास सचिन को 'भारत रत्न' देने संबंधित अंतिम नोट पहुंच गया और अगले दिन (15 नवंबर) राष्ट्रपति के पास दो लोगों (सचिन और वैज्ञानिक सीएनआर राव) को 'भारत रत्न' देने का प्रस्ताव राष्ट्रपति के दस्तखत के लिए भेज दिए गए. राष्ट्रपति ने उसी दिन दस्तखत कर दिए.
यूपीए सरकार में तत्कालीन खेल मंत्री जितेंद्र सिंह ने ध्यानचंद को भारत रत्न देने की सिफारिश की थी वहीं, तत्कालीन खेल मंत्री जितेंद्र सिंह ने हॉकी के जादूगर ध्यानचंद को भारत रत्न देने की सिफारिश की थी.