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चुपचाप पीछे बैठे थे संजय हेगड़े, शाहीन बाग मामले में कोर्ट की निगाह में कैसे आए?

संजय हेगड़े ने कहा कि वो जल्दी ही अपने सहयोगी वार्ताकार और इस बातचीत में मददगारों के साथ बातचीत के लिए शाहीन बाग जाएंगे.

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संजय हेगड़े  (फोटो- PTI)
संजय हेगड़े (फोटो- PTI)

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  • सुप्रीम कोर्ट ने संजय हेगड़े को नियुक्त किया वार्ताकार
  • संजय हेगड़े शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों से करेंगे बात

शाहीन बाग मामले की सुनवाई हो चुकी थी और अदालत ने आदेश लिखाना शुरू कर दिया था. जस्टिस संजय किशन कौल ने अचानक बातचीत से मामले के हल की ओर मोड़ दी. इस बाबत वार्ताकार नियुक्त करने की मंशा जताते हुए जस्टिस संजय किशन कौल ने अदालत कक्ष पर निगाह दौड़ाई और वकीलों की तीसरी कतार में बैठे सीनियर एडवोकेट संजय हेगड़े का नाम पुकारा.

जस्टिस कौल ने कहा कि आप पीछे क्यों बैठे हैं. आगे आइये मिस्टर हेगड़े... हेगड़े आगे आए तो कोर्ट ने कहा कि क्या आप इस बाबत कोर्ट की मदद करेंगे. हम आपसे अनुरोध करते हैं कि आप ही इस मामले में प्रदर्शनकारियों से बातचीत करें. हेगड़े ने थोड़े संकोच के साथ कहा कि वो खुशी-खुशी इस जिम्मेदारी को निभाएंगे.

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इस पर कोर्ट ने कहा कि क्या कोई और मदद. तो हेगड़े बोले इस मामले में कोई रिटायर्ड जज भी हों तो आसानी होगी. एक साथी सहयोगी को भी नियुक्त किया जाए तो बेहतर होगा, लेकिन कोर्ट ने संजय हेगड़े और एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुई वकील साधना रामचंद्रन को वार्ताकार नियुक्त किया.

संजय हेगड़े ने क्या कहा

सुनवाई खत्म होने के बाद संजय हेगड़े आजतक से बातचीत में कहा कि वो जल्दी ही अपने सहयोगी वार्ताकार और इस बातचीत में मददगारों के साथ बातचीत के लिए शाहीन बाग जाएंगे.   

आदेश सुनाकर कोर्ट तो उठ गई, लेकिन चर्चा चल निकली कि आखिर संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन को अचानक वार्ताकार नियुक्त करने के पीछे वजह क्या हो सकती है. इतना ही नहीं कोर्ट ने इन दोनों की मदद के लिए भी दो लोगों के नाम सुझाए.

इन वार्ताकारों की मदद के लिए कोर्ट ने पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्ला और चंद्रशेखर रावण का नाम लिया. हालांकि इसपर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने विरोध दर्ज कराते हुए कहा कि इनको इस प्रक्रिया में शामिल करने का कोई तुक नहीं है, क्योंकि ये तो और लोगों को भड़काने वाले हैं. बाद में कोर्ट ने कहा कि चाहें तो सीनियर वकील तसनीम अहमदी भी वहां जाकर मदद कर सकती हैं.

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संजय हेगड़े का नाम अचानक कैसे आया

अब कोर्ट के गलियारों में चर्चा गरम हुई कि आखिर संजय हेगड़े का नाम अचानक कैसे आया? तो कई जानकारों के मुताबिक कोर्ट की शायद ये मंशा रही हो कि ऐसे लोगों को ही वार्ताकार नियुक्त किया जाए जिनकी प्रदर्शनकारियों में अच्छी पैठ पहचान और छवि है. ये लोग ज्यादा सरल, सहज और सुचारू रूप से बातचीत कर सकेंगे.

लिहाजा वैसे ही लोग लिए गए.  पुरानी कहावत भी है कि कांटे से ही कांटा निकाला जाए तो बेहतर होता है. नश्तर लगाने की जरूरत नहीं पड़ती. लिहाजा लोहा ही लोहे को काटे तो बात बन सकती है.

ये भी पढ़ें- शाहीन बाग प्रदर्शनकारियों का पक्ष जानने के लिए वार्ताकार नियुक्त

तसनीम अहमदी और वजाहत हबीबुल्ला तो पहले ही प्रदर्शनकारियों के साथ हैं. संजय हेगड़े की तो पहचान और छवि भी देश के असंतुष्ट खेमे के वकील की ही है जिनको सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी लोकतंत्र का प्रेशर वॉल्व बताया था.

संजय हेगड़े को पिछले हफ्ते निर्भया के दोषियों के मामले में सुनवाई के दौरान जस्टिस भानुमति, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस बोपन्ना की बेंच ने दोषी पवन गुप्ता की पैरवी करने और अमाइकस क्यूरी बनने का अनुरोध किया था, लेकिन हेगड़े ने विनम्रतापूर्वक अपनी असमर्थता जताई थी.

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हालांकि वकीलों का एक बड़ा वर्ग इस खोज में जुटा हुआ है कि आखिर संजय हेगड़े का नाम वार्ताकार बनाए जाने के लिए कोर्ट के आगे अचानक आया या लाया गया.

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