उत्तराखंड में आई भीषण आपदा को दो साल हो गए हैं, लेकिन मानव शरीर के अवशेषों का मिलना अब भी जारी है. हाल ही में एक टूटी हुई इमारत के खंडहर के मलबे में एक मानव पैर के अवशेष मिले हैं.
रुद्रप्रयाग के एसपी बरिंदरजीत सिंह ने बताया कि मानव पैर के अवशेष बीते शनिवार को केदारनाथ मंदिर से करीब 50 मीटर दूर एक संकरी गली में देखे गए, जब कुछ स्थानीय लोग इमारत से मलबे की सफाई कर रहे थे.
उन्होंने बताया कि मानव अंग के अवशेष का उसी दिन पंचनामा और डीएनए सैंपलिंग जैसी जरूरी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद अंतिम संस्कार कर दिया गया. पुलिस अधिकारी ने हालांकि कहा कि आपदा के बाद क्षेत्र में कई बार खोज अभियान चलाए जाने के बावजूद अब भी वहां कंकाल मिलने में कोई अचरज की बात नहीं है.
सिंह ने कहा कि केदारघाटी में जिन 600 से ज्यादा लोगों के अवशेष मिले और उनका अंतिम संस्कार किया गया, वे सतह पर पाए गए थे. मंदिर के आस-पास अब भी 50-60 फीट ऊंचा मलबे का ढेर है और कोई हैरत की बात नहीं है कि उसके नीचे कुछ और भी मिल जाए.
उन्होंने कहा कि पहले मलबे के अंदर इमारतों की पूरी एक मंजिल दबी हुई है और अब स्थानीय लोगों को अपनी इमारतों से मलबा साफ करने की इजाजत दे दी गई है तो ऐसे में कुछ और मिलने की आशंका को नकारा नहीं जा सकता.
निशंक ने सरकार पर साधा निशाना
उधर, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और हरिद्वार से बीजेपी सांसद रमेश पोखरियाल निशंक मे इस मुद्दे पर प्रदेश की कांग्रेस सरकार को आड़े हाथों लिया है. केंद्र सरकार के एक साल पूरा होने पर रुड़की में आयोजित किए गए एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, 'मैं केदारनाथ से यहां आ रहा हूं. यह सरकार न तो जिंदा लोगों के साथ है और न ही केदारनाथ में मरे हुए लोगो को निकालने का इसने दम दिखाया है.'
उन्होंने कहा कि दो साल बीत जाने पर भी केदारनाथ मंदिर के पास शव दबे पड़े हैं. मैं खुद नरकंकाल देखकर आ रहा हूं. वहां के लोग चीख चिल्ला रहे हैं कि हमारे लोगों को निकाल तो दीजिए. सरकार ने न तो इन शवों को निकालने की अनुमति दी और ना ही शवों को खुद निकलवाया है. इससे ज्यादा खराब स्थिति नहीं हो सकती.'