अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था 'ह्यूमन राइट्स वॉच' ने 'वर्ल्ड रिपोर्ट 2018' जारी करते हुए मौजूदा केंद्र सरकार के बारे में कड़ी टिप्पणी की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ये सरकार देश में अल्पसंख्यकों पर हमलों को नहीं रोक सकी.
रिपोर्ट के पहले पैरा में लिखा गया है, ' साल 2017 में भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों, हाशिए के समुदायों और सरकार के आलोचकों को निशाना बनाते हुए की गई नियोजित हिंसा एक बढ़ते खतरे के रूप में सामने आई जिन्हें अक्सर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के समर्थन का दावा करने वाले समूहों द्वारा अंजाम दिया गया.'
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि सरकार त्वरित या विश्वसनीय जांच करने में असफल रही जबकि कई वरिष्ठ भाजपा नेताओं ने हिंदू प्रभुत्व और कट्टर-राष्ट्रवाद को सार्वजनिक रूप से बढ़ावा दिया, जिसने हिंसा को और बढ़ाया.
रिपोर्ट में केंद्र की मोदी सरकार को देश में अल्पसंख्यकों खासकर मुस्लमानों पर होने वाले हमलों को न रोकने और उन मामलों की सही से जांच न करवाने के लिए आड़े हाथों लिया गया है. रिपोर्ट में लिखा गया है कि अल्पसंख्यक समुदायों, विशेषकर मुसलमानों के खिलाफ सत्तारूढ़ भाजपा से जुड़े चरमपंथी हिंदू समूहों की भीड़ के हमले पूरे साल इन अफवाहों के बीच जारी रहे कि उन्होंने बीफ के लिए गायों की खरीद-फ़रोख्त की या इनका क़त्ल किया. हमलावरों के खिलाफ त्वरित कानूनी कार्रवाई करने के बजाय, पुलिस ने अक्सर गौ-हत्या पर प्रतिबंध लगाने वाले कानूनों के तहत पीड़ितों के खिलाफ शिकायत दर्ज की. नवंबर तक, 38 ऐसे हमले हुए और इनमें इस साल 10 लोग मारे गए.’
'ह्यूमन राइट्स वॉच' की इस रिपोर्ट में आरएसएस का भी जिक्र है. रिपोर्ट में कहा गया है, 'जुलाई में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आखिरकार इस तरह की हिंसा की निंदा किए जाने के बाद भी भाजपा के एक संबद्ध संगठन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने ’गौ-तस्करी और लव-जिहाद रोकने’ के लिए पांच हज़ार ’धार्मिक सेनानियों’ की भर्ती की घोषणा की. हिंदू समूहों के मुताबिक कथित लव-जिहाद हिंदू महिलाओं से शादी कर उन्हें इस्लाम धर्म में शामिल करने का मुसलमान पुरुषों का षडयंत्र है.'
रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद ह्यूमन राइट्स वॉच की दक्षिण एशिया डायरेक्टर मीनाक्षी गांगुली ने बीबीसी से बात करते हुए कहा है कि भारत में अधिकारियों ने खुद ही ये साबित किया है कि वे धार्मिक अल्पसंख्यकों और ख़तरे का सामना कर रहे अन्य समूहों पर लगातार हो रहे हमलों से उन्हें बचाने में अनिच्छुक है.
इस रिपोर्ट में अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों के अलावे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के हनन और कानून व्यवस्था के नाम पर इंटरनेट सेवाओं को बंद करने के मामले का भी जिक्र किया गया है.
वर्ल्ड रिपोर्ट के 28वें संस्करण ह्यूमन राइट्स वॉच ने दुनिया के 90 से ज़्यादा देशों में मानवाधिकारों की स्थिति के बारे में रिपोर्ट दी है.