झारखंड की आदिवासी युवतियों को नौकरी के बहाने दिल्ली लाकर जबरन बिन ब्याही मां बनाने और नवजात को बेचने का सनसनीखेज मामला सामने आया है. परिवार वालों ने पीड़िता की सकुशल वापसी के लिए बाल कल्याण समिति से गुहार लगाई है.
बताया जाता है कि गुमला जिले की रहनेवाली कई युवतियों को काम दिलाने के बहाने दिल्ली ले जाया गया था. बताया ये भी जा रहा है की ऐसी कई और लड़कियां है जो इस चंगुल में फंसी हुई है.
इन्हीं में से एक कथित पीड़िता की मां सुमति देवी हाथों में अपने बेटी का फोटो और आधार कार्ड लिए भटक रही है. उसे किसी ने बताया है कि काम करने गई उसकी बेटी अब जबरन मां बन चुकी है और नवजात की बिक्री के बाद ही वो घर आ पाएगी. इस महिला की दो बेटियां अभी दिल्ली में हैं. पूरे गांव में यह बात फैल चुकी है. ऐसे में किसी अनहोनी के अंदेशे से घबराई इस मां ने बाल कल्याण समिति को चिट्ठी लिख दोनों बेटियों की वापसी की गुहार लगाई है.
ऐसे कई मामले आ रहे हैं सामने
जिला गुमला की बाल कल्याण समिति के सदस्य अलख सिंह ने बताया कि पीड़िता की बेटियों को ट्रैफिकर्स दिल्ली ले गए थे. ऐसा ही दावा कुछ दिनों पहले दिल्ली से लौटी एक लड़की ने भी किया था. इन दिनों गुमला में रह-रही इस लड़की ने पीतमपुरा में सात साल बिताए थे. यहां उसे यह जानकारी मिली कि झारखंड से वहां गई सात लड़कियों में से दो बिन-ब्याही मां बन चुकी हैं और बाद में इनके नवजात बच्चों को बेचा जाएगा.
पुलिस भी अब मान रही है कि ऐसे कई मामले अब सामने आ रहे हैं. लड़कियों को रेस्क्यू कराने के लिए कई टीमों ने काम शुरू कर दिया है. दूसरी और समाजसेवी संगठनों ने भी सरकार को चिट्ठी लिखकर मामले की विस्तृत जांच की मांग की है.
झारखंड के देहाती इलाकों से काम के सिलसिले में हर साल लाखों लोग देश के महानगरों में जाते हैं. इनमे आदिवासी लड़कियों की संख्या भी अच्छी-खासी होती है. बताया ये भी जाता है कि इनका शारीरिक शोषण तो होता ही है, अब इन्हें 'बच्चों की फैक्ट्री' में भी तब्दील कर दिया गया है.
दिल्ली से छुड़ाए गए 35 नाबालिग
उधर, एक अन्य घटनाक्रम में दिल्ली के कई इलाकों से छुड़ाए गए झारखंड के 35 नाबालिग बच्चे सोमवार को रांची लाए गए. इनमें 16 लड़के और बाकी लड़कियां हैं. इन्हे झारखंड पुलिस की CID टीम दिल्ली से लेकर पहुंची. गौरतलब है की हाई कोर्ट की फटकार के बाद इन दिनों 'ऑपरेशन मुस्कान' चलाया जा रहा है, जिसके तहत झारखंड से गायब 1208 बच्चो को ढूंढने का जिम्मा CID ने उठाया है. बताया जाता है कि इन नाबालिग बच्चों से महानगरो में भीख मंगवाने और ईंट भट्ठे में काम लिया जाता था.