प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार नेपाल में जीत बहादुर को उसके घरवालों को सौंपेंगे. मोदी ने खुद ट्वीट कर इसकी जानकारी दी. नेपाल का रहनेवाला जीत बहादुर भटक कर भारत आ गया था और किसी तरह मोदी के पास पहुंच गया था. नेपाल जाने से पहले प्रधानमंत्री ने ट्विटर पर लिखा कि उन्हें खुशी है कि वो जीत बहादुर को कल उसके घरवालों को सौंप सकेंगे.
नेपाल की इस यात्रा से मेरी कुछ व्यक्तिगत भावनायें भी जुड़ी हुई हैं...बहुत वर्ष पहले एक छोटा सा बालक जीत बहादुर, असहाय अवस्था में मुझे मिला..
— Narendra Modi (@narendramodi) August 2, 2014
उत्साहित नरेंद्र मोदी ने दौरे से पहले जीत बहादुर को लेकर कई ट्वीट भी किए.
..उसे कुछ पता नहीं था | कहाँ जाना है ? क्या करना है ? ..और वो किसी को जानता भी नहीं था...भाषा भी ठीक से नहीं समझता था |
— Narendra Modi (@narendramodi) August 2, 2014
नरेंद्र मोदी ने अपने ट्वीट में लिखा, 'मुझे खुशी है कि कल मैं स्वयं जीतबहादुर के माता-पिता को उनका बेटा सौंपूंगा.'
..उसे कुछ पता नहीं था | कहाँ जाना है ? क्या करना है ? ..और वो किसी को जानता भी नहीं था...भाषा भी ठीक से नहीं समझता था |
— Narendra Modi (@narendramodi) August 2, 2014
इसके अलावा मोदी ने ट्वीट पर यह भी कहा कि इस यात्रा से उनकी व्यक्तिगत भावनाएं भी जुड़ी हैं.
ईश्वर की प्रेरणा से मैंने उसके जीवन के बारे में चिंता शुरू की..धीरे-धीरे उसकी पढ़ाई में, खेलने में रूचि बढ़ने लगी..वो गुजराती भाषा जानने लगा
— Narendra Modi (@narendramodi) August 2, 2014
आपको बता दें कि नरेंद्र मोदी सावन के आखिरी सोमवार को नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर में भगवान शिव के दर्शन और उनका अभिषेक करने जा रहे हैं. उनके साथ उनका धर्मपुत्र भी जा रहा है.
कुछ समय पहले मैं उसके माँ-पिताजी को भी खोजने में सफल हो गया...यह भी रोचक था...यह इसलिए सम्भव हो पाया क्योंकि उसके पाँव में छ: उंगलियाँ हैं |
— Narendra Modi (@narendramodi) August 2, 2014
यही नहीं, जीत के गांव वाले तो नरेंद्र मोदी से मिलकर उनके प्रति आभार जताने के लिए भी बेताब हैं. मुझे ख़ुशी है की कल मैं स्वयं उन्हें उनका बेटा सौंप सकूंगा |
— Narendra Modi (@narendramodi) August 2, 2014
जीत बहादुर की कहानी नेपाल में आम हो गई है. जीत बहादुर की वजह से ही ये गांव भी चर्चा में आ गया है. आखिरकार ये नरेंद्र मोदी के धर्मपुत्र का पुश्तैनी गांव है.मेरे लिये नेपाल यात्रा का एक महत्व यह भी है कि मुझे सावन के सोमवार के अवसर पर भगवान पशुपतिनाथ के दर्शन करने का सौभाग्य मिलेगा |
— Narendra Modi (@narendramodi) August 2, 2014
नेपाल का रहनेवाला जीत बहादुर भटक कर भारत आ गया था और किसी तरह मोदी के पास पहुंच गया था. खेलने कूदने की उम्र में ही गरीबी ने जीत बहादुर को घर बार छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था. वो दस साल का था, जब घर से निकला था. मेहनत मजदूरी करके जी रहा है, लेकिन वो दुनिया उसे रास नहीं आई. घर लौटने के लिए वो एक ट्रेन में बैठ गया. भूल से उसने गलत ट्रेन पकड़ ली. घर का रास्ता तो वह भटक गया, लेकिन किस्मत बिल्कुल सही जगह लेकर आई थी जीत बहादुर को. नरेंद्र मोदी ने उसका खूब ख्याल रखा. अच्छे स्कूल में दाखिला करवाया, छुट्टियों में घूमने फिरने का इंतजाम करवाया.