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चांद पर आबाद होगी इंसानों की बस्‍ती, लगेगा वक्‍त

चांद पर पानी खोजने में कामयाबी के बाद अब इसरो ने भविष्यवाणी की है कि 10 साल बाद, चांद पर आबाद हो सकती है इंसानों की बस्ती.

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आदमी चांद पर तो कब का पहुंच चुका है. अब तो चांद पर पानी भी खोज लिया गया है. फिर भी यदि लगता है कि चांद पर बस्ती बसाना महज ख्वाब है, तो ये शायद सही नहीं हैं. बस इतना जान लीजिए कि चंदा मामा का घर अब बहुत दूर नहीं है.

चांद पर होगी इंसानों की बस्‍ती
चांद पर पानी खोजने में कामयाबी के बाद अब इसरो ने भविष्यवाणी की है कि 10 साल बाद, चांद पर आबाद हो सकती है इंसानों की बस्ती. चांद पर छोटा सा बंगला बनाकर नई दुनिया बसाने का ख्वाब अब फिल्मों के परदे से निकलकर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो के वैज्ञानिकों की आंखों में भी चमकने लगा है. इसरो के वैज्ञानिक अब जुगत भिड़ा रहे हैं कि चांद पर बंगला कैसे बनाया जाए. वैसे आधी मुश्किल तो इसरो के मिशन चंद्रयान-एक ने दूर कर दी है.

'ईरलैंगर क्रेटर' पर बसेगी बस्‍ती
चंद्रयान एक के साथ गए टेरेन मैपिंग कैमरे की मदद से चंद्रमा का जो हाई रिजॉल्यूशन नक्शा तैयार हुआ है, उसमें वो ज़मीन साफ दिख रही है, जहां इंसान के रहने लायक घरौंदे बनाए जा सकते हैं. इसरो ने चांद पर बस्ती बसाने के लिए जो जगह ढूंढी है, उसका नाम है 'ईरलैंगर क्रेटर'. ये जगह हैं चांद के उत्तरी ध्रुव के पास एक बहुत बड़ा गड्ढा, जहां का माहौल इंसानी बस्ती के लिए बिल्कुल फिट है.

चांद पर मौजूद है कम्युनिकेशन सैटेलाइट
वैसे चांद पर पारदर्शी इग्लू में रहना भी कम रोमांचक नहीं होगा. ज़रा सोचिए कि आप चांद पर अपने घरौंदे में हैं, चांद पर रात हो चुकी है. उस वक्त धरती पर फैला है सूरज का उजाला, तब चांद के आंगन में धरती वैसे ही चमकती नज़र आएगी, जैसे कि धरती से नज़र आता है चांद. अभी तो आप फोन करके चांद पर किसी से गप्पें नहीं लड़ा सकते, लेकिन चांद पर बस्ती बस जाने के बाद ये भी मज़ेदार होगा कि आप अपने किसी परिचित से फोन करके चांद का हाल-चाल भी पूछ सकेंगे. चांद पर फोन सेवा शुरू करने में वैज्ञानिकों को कोई दिक्कत नहीं आएगी, क्योंकि इसके लिए कम्युनिकेशन सैटेलाइट पहले से मौजूद हैं.

आने-जाने में लगेंगे 42 दिन
चांद पर घर बसाने वालों के सामने एक दिक्कत ज़रूर पेश आएगी और वो है धरती से चांद की दूरी नापने में लगने वाला समय. इसरो के चंद्रयान-एक को करीब 21 दिन लगे थे चांद तक पहुंचने में. अब अगर चंद्रयान जैसे स्पेसक्राफ्ट से चांद पर आना-जाना होगा, तो वीकेंड और दो-चार दिन की कैज़ुअल लीव से काम नहीं चलने वाला, क्योंकि 42 दिन तो आने-जाने में ही खर्च हो जाएंगे. हां, अगर तब तक चंद्रयान से भी ज़्यादा स्पीड वाला अंतरिक्ष यान बन गया, तो फिर चांद का चक्कर लगाने में कोई झंझट नहीं.

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