नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से हाल ही में लिए गए फैसलों को लेकर हंगरी भारत के साथ मजबूती से खड़ा है. इंडिया टुडे के साथ एक विशेष बातचीत में हंगरी के विदेश मंत्री ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय कहा कि वह कश्मीर, नागरिकता (संशोधन) अधिनियम और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) के मुद्दों पर भारत को 'उपदेश' देना बंद करे.
यह सवाल पूछने पर कि हाल ही में भारत में जो कानून पारित हुए हैं इस बारे में उनकी सरकार का क्या नजरिया है, हंगरी के विदेश मंत्री पीटर सुजीजा ने कहा कि यह भारत का 'आंतरिक' निर्णय है और दुनिया के देशों को इस पर 'उपदेश' देना बंद कर देना चाहिए.
उन्होंने कहा, 'हम इन फैसलों को भारत के विशुद्ध आंतरिक और घरेलू मुद्दों के रूप में देखते हैं, इसलिए हम टिप्पणी नहीं करते हैं. हम इसे भारतीयों पर छोड़ते हैं. हम कुछ अन्य देशों की तरह ऐसे देश नहीं हैं जो सोचते हैं कि अपने देश के अलावा दूसरे देशों पर भी शासन करना उन्हीं का काम है. जब दूसरे देश किसी को उपदेश देने की कोशिश करते हैं तो हम ऐसा रुख अपनाना चाहेंगे.'
उन्होंने कहा, 'मेरा रुख यह है कि अगर कोई सरकार अच्छे निर्णय लेती है तो जनता उसे दोबारा चुनेगी और अगर कोई सरकार बुरा निर्णय लेती है तो जनता उसे दोबारा नहीं चुनेगी.'
ताकि जमीनी हालात से अवगत कराया जा सके...
भारत अपनी सरकार द्वारा लिए गए महत्वपूर्ण निर्णयों को लेकर अपनी स्थिति और उन निर्णयों के पीछे कारण की व्याख्या करने के लिए विभिन्न देशों तक पहुंच रहा है. सबसे हालिया प्रयास पंद्रह विदेशी राजदूतों को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर ले जाने का था, ताकि उन्हें जमीनी हालात से अवगत कराया जा सके.
क्या हंगरी अपना राजदूत भेजना चाहेगा?
यह पूछे जाने पर कि क्या हंगरी भविष्य में यूरोपीय संघ समूह के हिस्से के रूप में जम्मू कश्मीर में अपना राजदूत भेजना चाहेगा, इस पर उनका त्वरित जवाब नकारात्मक रहा. हंगरी के विदेश मंत्री ने कहा, 'हमने कश्मीर की यात्रा के लिए कोई अनुरोध नहीं किया. मेरे राजदूत यहां पर द्विपक्षीय संबंध को मजबूत करने और इसे बढ़ाने के लिए हैं. उस क्षेत्र की यात्रा किसी भी तरह से हमारे द्विपक्षीय संबंधों का हिस्सा नहीं है.'
इसके पहले गुरुवार को विदेश मंत्री डॉ जयशंकर हंगरी के विदेश मंत्री पीटर सुजीजा से मिले थे और भारत को यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल का स्थायी सदस्य बनाने को लेकर चर्चा की थी. उन्होंने इंडिया टुडे को बताया, 'पिछले साल जब वे बुडापेस्ट में थे, हम इस बारे में सहमत हुए थे. यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल में भारत की सदस्यता का हम समर्थन करते हैं.'
आर्थिक संबंधों पर भी चर्चा हुई
दोनों पक्षों ने आर्थिक संबंधों के मामलों पर भी चर्चा की. उन्होंने कहा कि हंगरी ने भारत के 'मेक इन इंडिया ' कार्यक्रम पर ध्यान दिया है. चूंकि हंगरी में प्रमुख भारतीय निवेशक मौजूद हैं इसलिए बुडापेस्ट भी भारत आ रहा है. उन्होंने कहा, 'हंगरी की कुछ कंपनियों ने भारत में प्रौद्योगिकी और आईटी क्षेत्र में प्रवेश किया है. उनमें से एक ने नए मुंबई हवाई अड्डे में सीसीटीवी स्थापित करने के लिए टेंडर जीता और दिल्ली शहर में दिल्ली पुलिस के लिए कैमरे लगाने का टेंडर भी जीता. हम पुलिस के लक्ष्य को नहीं जानते हैं, लेकिन वे सुरक्षा बढ़ाने वाले हैं. ये कैमरे पुलिस जांच में मदद करते हैं.'
भारत की भूमिका सकारात्मक...
हंगरी भारत के साथ जल प्रबंधन के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी साझा करने पर विचार कर रहा है. इस क्षेत्र में उसकी विशेषज्ञता है. मंत्री ने कहा, “जल प्रबंधन एक ऐसा क्षेत्र है जहां हंगरी को जल शोधन और अपशिष्ट जल उपचार सहित अपनी प्रौद्योगिकियों और कौशल के लिए जाना जाता है.”
पर्यावरण के मुद्दे पर हंगरी को आशा है कि भारत इस मसले पर अगुवाई करेगा और आगे का रास्ता बनाएगा. उन्होंने कहा कि हम इस मसले पर भारत की भूमिका को बहुत सकारात्मक तौर पर देखते हैं.