कश्मीर घाटी में हाल में पैदा हुए तनाव के माहौल से कई सवाल उठ रहे हैं. ऐसा लगता है कि हुर्रियत कॉन्फ्रेंस अब अलगाववादी नेता मसरत आलम को सैयद अली शाह गिलानी की जगह देना चाहती है. बीजेपी भी हुर्रियत की इस सियासी चाल को समझ रही है.
बीजेपी ने सीनियर नेताओं का मानना है कि जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी ग्रुप मसरत को गिलानी के सियासी उत्तराधिकारी के तौर पर पेश कर रहा है.
जम्मू-कश्मीर प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता फारूक खान ने कहा, 'सैयद अली शाह गिलानी अब उम्रदराज हो चुके हैं. फिलहाल कोई और नेता उनकी जगह लेने के लिए उपयुक्त नहीं है. हुर्रियत को गिलानी की जगह फिट होने लायक एक नेता की जरूरत थी, जो उन्होंने मसरत के रूप में पा लिया है.'
फारूक खान ने कहा कि पाकिस्तान भी यही चाहता है कि एक कट्टरपंथी विचारों वाला कोई नेता आगे बढ़े, न कि नरम रुख अपनाने वाला.
बहरहाल, प्रदेश सरकार की ओर से कश्मीर घाटी में अमन-चैन बहाली की कोशिशें की जा रही हैं. दूसरी ओर अलगाववादी ताकतें हिंसा के जरिए माहौल बिगाड़ने की कोशिशों में जुटी हैं.