पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के सलाहकार सरताज अजीज और कश्मीर के अलगाववादियों के बीच बैठक पर रविवार को विभिन्न राजनीतिक दलों ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई. बीजेपी ने इसे जहां सरकार की कूटनीतिक गलती बताया, वहीं यूपीए ने कहा कि वह कश्मीर मुद्दे पर कोई समझौता नहीं करने जा रही.
बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा कि अजीज को पाकिस्तानी अलगाववादियों से भारतीय धरती पर मुलाकात करने की इजाजत देकर सरकार ने 'कूटनीतिक गलती' की है और मांग की कि वार्ता को रोका जाए.
सिंह ने एक बयान में कहा, 'सरताज अजीज को कश्मीरी अलगाववादियों से वार्ता करने की अनुमति देकर यूपीए सरकार ने एक और कूटनीतिक गलती की है जो देश की सुरक्षा और देश के हितों के लिए महंगी साबित होगी.' बीजेपी नेता ने कहा कि कश्मीर का मुद्दा भारत का अंदरूनी मामला है और इसका समाधान देश के अंदर किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान कई वर्षों से कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने का प्रयास कर रहा है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने हाल में संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के दौरान एक बार फिर से कश्मीर मुद्दे को उठाया था.
बहरहाल सरकार ने कहा कि वह इस मुद्दे पर समझौता नहीं करने जा रही है और जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि 1996 से ही राज्य में लोकतांत्रिक प्रक्रिया चल रही है. उन्होंने कहा कि इन वार्ता में शामिल होने वाले हुर्रियत नेताओं को लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरना चाहिए.
तिवारी ने कहा, 'हुर्रियत को भी इस मामले पर आत्मावलोकन करना चाहिए कि क्या वे वास्तव में लोगों के प्रतिनिधि हैं और फिर उन्हें देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भी हिस्सेदारी करनी चाहिए. वर्ष 1999 से तीन चुनाव हो चुके हैं और लोगों ने मतदान किया है. हुर्रियत को इस प्रक्रिया का हिस्सा बनना चाहिए.' अजीज ने कहा कि पाकिस्तान भी इलाके में शांति बहाली का प्रयास कर रहा है.
हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के नरमपंथी धड़े के नेता मीरवाइज उमर फारूक ने आश्चर्य जताया कि बैठक को नकारात्मक रूप में क्यों लिया जा रहा है. फारूक ने कहा, 'हम पहली बार दिल्ली नहीं आए हैं और न ही पहली बार यहां के लोगों से मुलाकात कर रहे हैं.' उन्होंने कहा, 'हमने हमेशा कहा है कि हम भारत, पाकिस्तान और कश्मीर के लोगों के बीच सहयोग चाहते हैं और हम कोई लड़ाई नहीं चाहते.'