कट्टर अलगाववादी संगठन हुर्रियत कॉन्फ्रेंस ने पाकिस्तान कब्जे वाले कश्मीर में एलओसी पर चीन के पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के जवानों के घुसने की न सिर्फ तारीफ की है, बल्कि उसका बचाव भी किया है. हुर्रियत के प्रमुख सैयद अली गिलानी ने सोमवार को कहा कि पीएलए ने जबरदस्ती घुसपैठ नहीं की है. पाकिस्तान और चीन साझी सहमति से वहां अपनी गतिविधि चला रही है.
गिलानी ने खारिज किए अबदुल्ला के सवाल
गिलानी ने जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की पीओके में एलओसी पर चीनी सेना की मौजूदगी पर अलगाववादियों की चुप्पी पर सवाल उठाने को खारिज कर दिया. हुर्रियत के प्रवक्ता ने कहा है कि इस मामले में अब्दुल्ला की बातें आधा सच, अपरिपक्व और बेमतलब है. रविवार को उमर ने पाक अधिकृत कश्मीर में चीनी सैनिकों की मौजूदगी पर अलगाववादियों की चुप्पी की आलोचना की थी.
पीओके में पाकिस्तान और चीन की मिलीभगत
हुर्रियत प्रवक्ता ने कहा कि कश्मीर में चीनी सैनिकों की मौजूदगी पाकिस्तान और चीन की आपसी सहमति के कारण है. यह पाक-चीन के आर्थिक कॉरिडोर प्रक्रिया का हिस्सा है. आजादी समर्थकों को इस कदम का विरोध करने की कोई जरूरत नहीं है.
भारत पर लगाया कश्मीर ने नरसंहार का आरोप
हुर्रियत ने कहा कि चीन कश्मीरी लोगों की पहचान का समर्थक है. इसलिए चीनी सेना की निर्दयी भारतीय सेना से तुलना करने का कोई कारण नहीं है. भारतीय सेना ने पिछले 68 सालों में योजना बनाकर कश्मीरी लोगों का नरसंहार किया है. उन्होंने कहा कि भारत का लंबे समय से चीन से सीमा विवाद है. अरुणाचल प्रदेश समेत भारत के कई राज्यों की सीमा को लेकर दोनों देशों में तनाव है. जहां तक कश्मीर की बात है तो यह अलग मुद्दा है.
कश्मीर की आजागदी का समर्थक है चीन
प्रवक्ता ने कहा कि चीन कश्मीर की आजादी का समर्थक है. वह ऐसा कोई काम नहीं करेगा जिससे कश्मीर की स्वायत्ता और सम्मान को खतरा पैदा हो. वह मानता है कि कश्मीर में भारत ने बलपूर्वक अवैध कब्जा कर रखा है. कुपवाड़ा जिले के नौगांव और तंगधार सेक्टर से लगती पाकिस्तान कब्जे वाली कश्मीर में एलओसी पर चीनी सैनिक नजर आए थे.
भारत जता चुका है सख्त विरोध
भारत ने बीते साल गिलगिट और बल्टिस्तान में चीनी सैनिकों की मौजूदगी को अस्वीकार्य बताते हुए विरोध दर्ज कराया था. यह क्षेत्र पीओके में आता है. देश के सुरक्षा हलकों के कुछ विशेषज्ञ पीओके में पीएलए की मौजूदगी को लेकर गंभीर चिंता जताते आए हैं. चीनी अधिकारियों ने कई बार कहा है कि सीपीईसी यूरेशिया से एशिया को जोडने वाला एक आर्थिक पैकेज है.