एक स्थानीय अदालत ने अक्तूबर 2005 के एक मामले में एमआईएम प्रमुख और हैदराबाद के सांसद असाउद्दीन ओवैसी को जमानत दे दी. मामले में उन पर आरोप है कि उन्होंने 2005 में राज्य के मेदक जिले में कलेक्टर एवं अन्य अधिकारियों को ड्यूटी निभाने में बाधा पहुंचायी.
इससे पूर्व असाउद्दीन को दो फरवरी तक न्यायिक हिरासत में भेजा गया था. उन्हें संगारेड्डी से छह किमी दूर स्थित कांडी की मेदक जिला जेल में रखा गया था.
सूत्रों ने बताया कि जेल अधिकारियों के समक्ष जमानत आदेश पेश करने के बाद उन्हें गुरुवार को ही छोड़ दिये जाने की संभावना है.
मेदक जिले के संगारेड्डी कस्बे में पंचम अतिरिक्त जिला न्यायाधीश की अदालत ने असाउद्दीन को जमानत प्रदान करते हुए उन्हें 10 हजार रुपये का निजी मुचलका जमा कराने और इतनी ही राशि की दो जमानत पेश करने को कहा.
बचाव पक्ष ने कहा कि असाउद्दीन को 25 जनवरी को हैदराबाद में एक सम्मेलन में भाग लेना है. इससे पूर्व न्यायिक प्रथम श्रेणी मजिस्टेट्र तथा निषेध एवं आबकारी अदालत ने बुधवार को असाउद्दीन की दो जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया था.
यह मामला एक राजस्व अधिकारी की शिकायत पर दर्ज किया गया था. इसमें असाउद्दीन, उनके छोटे भाई एवं पार्टी विधायक अकबरूद्दीन ओवैसी और अन्य पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने हैदराबाद-मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग की सड़क को चौड़ा करने के दौरान मुत्तांगी गांव के पास पतनचेरू में एक धार्मिक स्थल को गिरा देने के खिलाफ प्रदर्शन किया.
अकबरूद्दीन घृणा फैलाने वाला भाषण देने के मामले में फिलहाल आदिलाबाद जेल में है.
आरोप है कि असाउद्दीन एवं अन्य ने मेदक के तत्कालीन जिला कलेक्टर ए के सिंहल एवं अन्य अधिकारियों से तीखी बहस की तथा ओवैसी बंधुओं ने कलेक्टर को कथित तौर पर धक्का भी दिया. ओवैसी बंधु अदालत में पेश नहीं हुए इसलिए उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया.
मामले में ओवैसी बंधुओं एवं अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की 153 ए (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना), 147 (दंगा), 186 (लोक सेवकों को दायित्व वहन करने से बाधित करना) तथा सात अन्य धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है.