राष्ट्रपति बराक ओबामा ने बुधवार को संकेत दिया कि वह अमरीकी कंपनियों को आउटसोर्सिंग के प्रति हतोत्साहित करने की नीति से जुड़ी भारत की चिंताओं का निराकरण शायद ही करें क्योंकि उन्हें इस समय अमेरिकी नागरिकों के रोजी-रोजगार की ज्यादा चिंता है.
ओबामा ने भारत यात्रा के ठीक पहले कहा, ‘राष्ट्रपति होने के नाते अमेरिकी नागरिकों के लिए रोजी रोजगार के अवसर जुटाना मेरी जिम्मेदारी बनती है. और मैं मानता हूं कि अमेरिका और भारत के बीच आर्थिक संबंध दोनों देशों के लिए लाभकर होना चाहिए.’
राष्ट्रपति से सवाल किया गया था कि क्या वह आउटसोर्सिंग संबंधी अपनी नीति के खिलाफ भारत की चिंताओं का कुछ ध्यान रखेंगे क्यों कि भारत में इसे अड़चन पैदा करने वाली नीति माना जा रहा है. ओबामा ने कहा कि उनका प्रशासन ‘अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुधार, अमेरिका के भविष्य में निवेश, रोजगार संरक्षण, निर्यात बढ़ाने के उपायों और कारोबार के लिए अनुकूल माहौल तैयार करने पर ध्यान केन्द्रित कर रहा है.’
उन्होंने हाल ही में अमेरिका के रोजगार के अवसरों को भारत जैसे देशों को दिए जाने के खिलाफ बोला था. राष्ट्रपति ने आउटसोर्सिंग को हतोत्साहित करने के लिए यह घोषणा भी की है कि अमेरिका में रोजगार पैदा करने वाली कंपनियों को कर-राहत दी जाएगी.
भारत में अमेरिकी कंपनियों को कारोबार के लिए मुक्त प्रवेश दिए जाने की वकालत करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, ‘हमारा बाजार विश्वभर के उत्पादों एवं सेवाओं के लिए खुला है. हम मानते हैं कि भारत सहित अन्य देशों को भी ऐसा करना चाहिए.
अमेरिकी कंपनियों को अपने बाजारों में इसी तरह की पहुंच की सुविधा देनी चाहिए.’ ओबामा ने इस संदर्भ में किसी विशेष क्षेत्र का नाम नहीं लिया, लेकिन कहा कि अमेरिकी कंपनियों को वित्तीय एवं खुदरा क्षेत्रों में अधिक पहुंच की सुविधा दी जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि अमेरिकी ने यह महसूस किया है कि उसकी अर्थव्यवस्था बिना अन्य देशों के विकास के सुधार के पथ पर नहीं आ सकती.