मालेगांव ब्लास्ट केस की जांच में हिंदू आरोपियों के प्रति नरम रुख अपनाने के दबाव का दावा करने वाली विशेष सरकारी वकील ने अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के सभी केस से हटने की इच्छा जाहिर की है.
विशेष सरकारी वकील रोहिणी सालियन ने कहा कि मामला विश्वास और सिद्धांतों का है, इसलिए वे NIA से जुड़े सभी केसों से हटना चाहती हैं. उन्होंने कहा, 'जब आरोप लग चुके हैं, तो ऐसे में मेरे लिए यह विश्वास का सवाल बन गया है.'
इससे पहले, मालेगांव ब्लास्ट केस से जुड़ी एक विशेष सरकारी वकील रोहिणी सालियन ने दावा किया था कि जब से केंद्र में नई सरकार बनी है, जब से उस पर हिंदू आरोपियों के प्रति नरम रुख अख्तियार करने का दबाव डाला जा रहा है. अंग्रेजी अखबार 'द इंडियन एक्सप्रेस' ने इस बारे में रिपोर्ट छापी है.
इस बहुचर्चित केस से जुड़ी रोहिणी सालियन ने बताया था कि बीते एक साल से जब से नई सरकार सत्ता में आई है, तब से NIA की ओर से उन पर दबाव बनाया जा रहा है. जांच एजेंसी ने उन्हें इस केस के आरोपियों के प्रति 'सॉफ्ट' रहने को कहा है.
विशेष सरकारी वकील रोहिणी ने कहा था कि एनडीए सरकार बनने के बाद उन्हें NIA के एक अधिकारी का फोन आया. जब रोहिणी ने फोन पर केस की बात करने से इनकार कर दिया, तो अधिकारी ने उनसे मिलकर बताया कि उन्हें आरोपियों के प्रति नरम रुख अपनाना चाहिए.
NIA ने आरोप से किया इनकार
NIA ने मालेगांव ब्लास्ट केस से जुड़ी विशेष सरकारी वकील रोहिणी सालियान के दावे को गलत बताया. एनआईए ने वकील के आरोपों से इनकार करते हुए गुरुवार को दो पेज का एक स्पष्टीकरण जारी किया, जिसमें इस बात से इनकार किया गया कि एजेंसी के किसी अधिकारी ने सालियान को कोई अनुचित सलाह दी. इसमें सालियान के इस आरोप से भी इनकार किया गया है कि उनके द्वारा देखे जा रहे मामलों में बाधा डालने का प्रयास किया गया था.
गौरतलब है कि मालेगांव में साल 2008 में रमजान के दौरान हुए ब्लास्ट में मुस्लिम समुदाय के 4 लोग मारे गए थे. इस मामले में हिंदू चरमपंथियों पर आरोप हैं.