इंडिया टुडे के संपादक प्रभु चावला ने आज तक के कार्यक्रम सीधी बात में अभिनेता संजय दत्त से बात की. पेश है उस बातचीत के प्रमुख अंशः
क्यों आना चाहते हैं राजनीति में?
मुंबई में टेररिस्ट को मारने के लिए 60 घंटे लगे. प्रेस और पब्लिक को छोड़कर किसी को भी ग्राउंड जीरो पर नहीं देखा. मैंने लोगों से बात की कि क्यों नहीं जाते नेता लोग. मैंने सोचा यदि मैं ज्वाइन कर सकूं तो मेरे जैसे काफी आ जाएंगे साथ में.
आपको लगता है कि नेताओं को फ्रंट पर लीड करना चाहिए. बुलेटप्रूफ गाड़ियों में बैठे न रहें.
जी, बिल्कुल.
आपका कहना है कि सब नेता अपने कमरों में बैठे रहे, एअरकंडीशन गाड़ियों में बैठे रहे. सड़क पर नहीं आए.
जी, सड़क पर नहीं आए. जब किस्सा खत्म हो गया तो सब आ गए. मेरे हिसाब से उन सबको वहां रहना बहुत जरूरी था.
अगली बार संजू जब नेता बनकर आएंगे, तो एके-47 लेकर खुद खड़े हो जाएंगे.
एके-47 नहीं लेकिन कम-से-कम खड़ा तो रंहूंगा. हमारे कमांडो इतने देर से पहुंचे दिल्ली से. हर शहर में कमांडो होने चाहिए. गेटवे ऑफ इंडिया पर कोई भी गन और एम्युनेशन लेकर कहीं भी घुसकर कुछ भी कर सकता है, तो हम लोगों की सुरक्षा कहां है?
लोकसभा के 542 सदस्यों में से मुन्नाभाई एक होंगे? आप उनसे क्या करवाएंगे?
कोशिश तो कर सकता हूं.{mospagebreak}आप तो गांधीगीरी में विश्वास रखते हैं. तो वहां धरने पर बैठ जाएंगे क्या?
धरने पर भी बैठ सकता हूं.
एक बार गाल दिखा देंगे अपना?
एक बार दो बार, फिर तीसरी बार के लिए गांधीजी ने कुछ नहीं कहा क्या करने के लिए.
आपने समाजवादी पार्टी ही क्यों चुनी?
अमर सिंह जी मेरे बड़े भाई हैं. 15 साल हो गए, मैं उन्हें जानता हूं. वे हमेशा मेरे साथ रहे हैं: खुशी में, दुःख में. मैंने उनसे बहुत पहले पॉलिटिक्स ज्वाइन करने के लिए कहा था. उन्होंने कहा, आ जाओ.
आपने यह समझने की कोशिश नहीं की कि समाजवादी पार्टी का मकसद क्या है, विचारधारा क्या है?
वह सेकुलर पार्टी तो है.
आपने लखनऊ ही क्यों चुना?
लखनऊ डैडी की वजह से चुना. दत्त साहब वहीं थे तीन साल. फिर प्रिया यहां से लड़ रही हैं, मैं कभी नहीं चांहूंगा कि उसमें कोई रुकावट हो.
आप बीएमडब्लू में चलने वाले, चार्टर्ड प्लेन में चलने वाले साइकिल पर चलेंगे ? थोड़ी मेहनत करनी पड़ेगी.
मेहनत तो बहुत करनी पड़ेगी. दिल से करनी पड़ेगी और एक ऑनेस्ट आदमी की तरह.
पॉलिटिशियन बनने के लिए काफी नकली बनना पड़ता है?
नकली मैं नहीं बन सकता हूं, कभी भी. मैं दिल का आदमी हूं, दिल से ही काम करूंगा.{mospagebreak}अमिताभ बच्चन जी राजनीति छोड़कर आ गए. राजेश खन्ना दोबारा नहीं गए, धर्मेंद्र दोबारा नहीं गए. यह सब सोचा है आपने?
मैंने सब कुछ सोचा है. कमिटेड होना पड़ेगा. अपनी कंस्टीट्यूएंसी में काम करेंगे, तो हर चीज सही हो जाती है.
आप स्टार हैं इसलिए खड़ा किया या लखनऊ से प्यार है, राजनीति से प्यार है?
मुझे खड़ा होना था, इसलिए अमर सिंह जी को बोला. पहले उन्होंने ना कहा.
इसलिए खड़ा किया कि आपकी स्टार वैल्यू है, पॉपुलरिटी काफी ज्यादा है. एक्टर का एक्सप्लायटेशन हो रहा है?
मुझे नहीं लगता कि एक्सप्लायटेशन हो रहा है. मुलायम सिंह जी मुझसे मिले हैं, मुझे नहीं लगता ऐसा कुछ है.
उसके बाद पार्टी के आस-पास के लोग भी जीत जाएंगे.
वो अच्छी बात है न पार्टी के लिए.
कांग्रेस पार्टी में क्यों नहीं गए. हाथ का साथ लेना अच्छा रहता है.
वो कहते हैं कि एक परिवार से दो मेंबर नहीं खड़े हो सकते. प्रिया पहले ही है, मैं नहीं चाहता था कि उसे कोई तकलीफ हो मेरी वजह से.
बहन तो आपकी नाराज हो गई?
भाई-बहन में झगड़ा होता रहता है. मैं बड़ा हूं उससे, उसने जो भी कहा होगा गुस्से में, उसे माफ करता हूं, बड़े भाई की तरह.
फिल्मों में गांधीगीरी से आपकी छवि बदली है, उसके बाद सही में गांधी बन गए या यह सिर्फ एक्टिंग के लिए है?
हर इंसान में बदलाव आता है, जैसे-जैसे वह मैच्योर होता है. हर बच्चा शरारती होता है.
गांधीगीरी की इमेज को आप पॉलिटिकली एक्सप्लाएट कर रहे हैं?
मैं गांधीगीरी को एक्सप्लाएट नहीं कर रहा हूं. लोग बोल रहे हैं. आप भी बोलते हैं मुन्ना भाई.
संजय दत्त की जो इमेज बनी थी, जो अतीत था, नहीं मिटता अगर यह रोल नहीं मिलता?
नहीं, ऐसी बात नहीं है. एक बदलाव आ जाता है. मतलब, बुरा आदमी तो नहीं हूं सर.