ग्रैंडमास्टर विश्वनाथन आनंद ने कहा कि इसी महीने अपना चौथा विश्व शतरंज चैम्पियनशिप खिताब जीतकर उन्होंने अपने आलोचकों को गलत साबित कर दिया जो उन पर ‘किलर इंस्टिंक्ट’ की कमी का आरोप लगाते हैं.
आनंद ने बुल्गारिया के सोफिया में हाल में स्थानीय वेसलिन टोपालोव को हराकर अपना विश्व खिताब बरकरार रखा.
उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘आम तौर पर लोग मुझ पर आरोप लगाते हैं कि मैं नर्वस हो जाता हूं या मुझमें किलर इंस्टिंक्ट की कमी है. मैं लगातार तीसरे खिताब की रक्षा की और यह विशेष था.’’ आनंद ने कहा कि टोपालोव के खिलाफ उनका मैच विश्व चैम्पियनशिप के सबसे मुश्किल मैचों में से था और उनका बुल्गारिया का विरोधी भी काफी प्रतिस्पर्धी है.
उन्होंने कहा, ‘‘यह मेरा सबसे मुश्किल मैच था. प्रत्येक मैच काफी कड़ा था. अधिकांश समय हमारा मैच चार घंटे से कम में खत्म नहीं हुआ. यह काफी तनावपूर्ण था.’’ इस भारतीय दिग्गज ने कहा, ‘‘मुझे पता था कि वह :12वें दौर में: ड्रा की पेशकश नहीं करेगा. पहली बार हमने मैच में एक दूसरे से बात नहीं की. मैच के अंत में ही उसने मुझसे बात की.’’
अपने नवीनतम खिताब की तुलना पिछले तीन खिताब से करते हुए आनंद ने कहा, ‘‘यह शतरंज के बोर्ड और इसके बाहर सबसे मुश्किल था. सामान्यत: मैं अनुमान लगा लेता हूं कि बाजी इस तरह से चलेगी. पिछली चैम्पियनशिपों में ऐसा ही होता था और अचानक की मैं बड़ी बढ़त बना लेता था. लेकिन यह मुकाबला काफी करीबी रहा. इस तरह से यह प्रतियोगिता मेरी अब तक की सबसे कड़ी परीक्षा थी.’’
आनंद ने हालांकि इस खिताब के दौरान कई चीजें पहली बार की. वह आइसलैंड के ज्वालामुखी से निकले राख के गुबार के कारण पहली बार चैम्पियनशिप के लिए बस से गये. यह 1921 के बाद पहला मुकाबला था जिसमें दोनों में से कोई खिलाड़ी सोवियत संघ से संबंध नहीं रखता था.
इस भारतीय दिग्गज ने कहा कि प्रतियोगिता के दौरान गैरी कास्परोव और व्लादिमीर क्रैमनिक के समर्थन से उनका मनोबल बढ़ा.
उन्होंने कहा, ‘‘मैच के दौरान कई मुश्किल लम्हें आये, कई तनावपूर्ण लम्हें और अचानक आपको गैरी या क्रैमनिक का फोन आये तो निश्चित तौर पर इससे आपका मनोबल बढ़ता है. पहली बार मुझे इस तरह की मदद मिली.’’ विश्व चैम्पियनशिप खिताब में रूसी दबदबे के बारे में आनंद ने कहा, ‘‘मैं कह सकता हूं कि उनका दबदबा अब पहले जैसा नहीं है. मुझे शक है कि कोई देश सोवियत संघ की तरह दबदबा बना पाएगा.’