पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा है कि उन्होंने संसद में कभी भी 'हिंदू आतंकवाद' शब्द का इस्तेमाल नहीं किया. हालांकि शिंदे ने स्वीकार किया कि उन्होंने जयपुर में एक बार वैसा जरूर कहा, पर इसमें तुरंत सुधार करते हुए यह भी टिप्पणी की कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता.
सुशील कुमार शिंदे का यह बयान गृहमंत्री राजनाथ सिंह के इस दावे के बाद आया है कि यूपीए सरकार की ओर से इस शब्द का इस्तेमाल किए जाने के बाद से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई कमजोर हो गई.
शिंदे ने कहा कि एनडीए सरकार गुरदासपुर हमले के मद्देनजर आतंकवाद से निपटने में अपनी निष्क्रियता से ध्यान बंटाना चाहती है. शिंदे ने आरोप लगाया कि देश में आतंकवाद को एनडीए सरकार के कार्यकाल के दौरान कंधार विमान अपहरण कांड के बाद बढ़ावा मिला. उन्होंने कहा कि इसके बाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा और संसद पर हमला हुआ था.
पूर्व गृहमंत्री ने आरोप लगाया कि एनडीए सरकार की निष्क्रियता के चलते उसके कार्यकाल के दौरान आतंकवादियों के हौसले बुलंद हुए, यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान नहीं.
शिंदे ने यह भी कहा कि 1993 के मुंबई बम विस्फोट मामले के दोषी याकूब मेमन की फांसी के निर्णय को सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए था. उन्होंने सवाल किया, 'जब आतंकवादियों ने लोगों की हत्या की, तो क्या उन्होंने इसकी पहले घोषणा की?'
गौरतलब है कि राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को लोकसभा में 27 जुलाई के हमले पर बयान देने के बाद कांग्रेस पर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए कहा था कि पहले की यूपीए सरकार ने आतंकवादी घटनाओं की जांच की दिशा बदलने के लिए 'हिंदू आतंकवाद' शब्द गढ़ा था.