पूर्व कॉरपोरेट लॉबीइस्ट नीरा राडिया ने 2009 में लोकसभा के चुनावों के बाद मंत्रिमंडल के गठन पर पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा से विस्तार पूर्वक बात की थी. एक विशेष अदालत से उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल के गठन के बारे में राजा और द्रमुक सांसद कनिमोई से बातचीत की थी. राजा और कनिमोई 2 जी स्पेक्ट्रम मामले में मुकदमे का सामना कर रहे हैं.
राडिया मामले में अभियोजन पक्ष के गवाह के तौर पर गवाही दे रही थीं. राडिया ने यह भी कहा कि उन्होंने टाटा की तरफ से नवंबर 2008 में राजा के आवास पर बैठक में हिस्सा लिया था.
उन्होंने कहा, ‘यह सही है कि इन बैठकों के दौरान, मैंने राजा के साथ बैठक के लिए कुछ व्यापारियों को इंतजार करते देखा और इस तरह की बैठकें करना ए राजा के लिए सामान्य बात थी.’ उन्होंने कहा कि तब टाटा समूह के अध्यक्ष रतन टाटा ने नवंबर 2007 में द्रमुक प्रमुख एम करुणानिधि को सौंपने के लिए उन्हें एक सीलबंद लिफाफा सौंपा था लेकिन उन्हें उसके कंटेंट के बारे में पता नहीं है.
उन्होंने कहा, ‘चूंकि सीलबंद लिफाफे के कंटेंट को मैंने पढ़ा नहीं था इसलिए मैं यह नहीं बता सकती कि यह सार्वजनिक दायरे में आया या नहीं. यह सही है कि रतन टाटा द्वारा लिखा गया एक पत्र सार्वजनिक हुआ जिसमें उन्होंने ए राजा के नेतृत्व की प्रशंसा की थी.’
सीबीआई के अभियोजक द्वारा राडिया को उनकी रिकार्ड की गई टेलीफोन पर बातचीत का लिखित ब्योरा दिखाए जाने पर उन्होंने कहा कि इसे समग्रता में देखा जाना चाहिए. जब राडिया को उनकी रिकार्ड की गई बातचीत का लिखित ब्योरा दिखाया गया तो उन्होंने विशेष सीबीआई जज ओ पी सैनी से कहा, ‘मैं ए राजा के साथ मंत्रिमंडल के गठन और कनिमोई करुणानिधि के साथ मेरी बातचीत के बारे में बात कर रही थी. हालांकि, इसे संदर्भ की समग्रता में देखा जाना चाहिए क्योंकि यह बातचीत का सिर्फ एक हिस्सा है.’ उन्होंने कहा, ‘लिखित ब्योरे में उल्लेख उसी का है. वह मंत्रिमंडल के गठन के बारे में है.’
राडिया का बयान दर्ज करने का काम गुरुवार को पूरा हो गया. राडिया ने कहा कि उन्होंने राजा के तत्कालीन निजी सचिव आर के चंदौलिया से भी बातचीत की थी और उन्होंने चार राज्यों में स्पेक्ट्रम के आवंटन के बारे में उन्हें सूचित किया था. चंदौलिया भी 2 जी मामले में आरोपी हैं. उन्होंने कहा, ‘लिखित ब्योरे में मैं आर के चंदौलिया से बातचीत कर रही हूं जिसमें वह चार राज्यों में स्पेक्ट्रम आवंटन के बारे में सूचित कर रहे थे. उसपर मैंने उनसे कहा कि वैसा न करें क्योंकि टाटा चाहती थी कि सभी राज्यों में स्पेक्ट्रम जारी हों.’ राडिया ने मामले में जांच के दौरान सीबीआई को दिए गए अपने बयान में कहा था कि उन्होंने साल 2009 के आम चुनावों के बाद कनिमोई से बातचीत की थी.
सीबीआई द्वारा 29 जनवरी 2011 को दर्ज किए गए बयान में राडिया ने इस बात का खंडन किया था कि मंत्रिमंडल में राजा को दूरसंचार मंत्रालय दिलाने के लिए उन्होंने कनिमोई से संपर्क किया था.
यूनिटेक लिमिटेड के प्रबंध निदेशक संजय चंद्रा की तरफ से उपस्थित अधिवक्ता सुशील बजाज द्वारा आज जिरह के दौरान राडिया ने अदालत से कहा कि अक्टूबर 2008 की अवधि के दौरान यूनिटेक नकारात्मक दौर से गुजर रही थी कि क्योंकि उसे ऋण देने वाले अपने कर्ज का भुगतान करने की मांग कर रहे थे.
उन्होंने कहा, ‘यह सही है कि बाजार ने यूनिटेक के दूरसंचार क्षेत्र में उतरने को सही रूप में नहीं लिया था. साल 2008 में आर्थिक सुस्ती चल रही थी. उस वक्त यूनिटेक का रियल एस्टेट का कारोबार संकट में था.’
राडिया ने यह भी कहा कि उन्होंने यूनिटेक लिमिटेड के अध्यक्ष रमेश चंद्रा से उस अवधि के दौरान बातचीत की थी और उन्होंने उनसे कहा था कि नार्वे की टेलीनोर से मिले धन का सिर्फ दूरसंचार व्यापार में इस्तेमाल किया गया है. चंदौलिया की ओर से उपस्थित अधिवक्ता विजय अग्रवाल द्वारा जिरह के दौरान राडिया ने कहा, ‘यह सही है कि प्रतियोगियों की सूचना के आधार पर मीडिया ने यह धारणा बनाई थी कि स्वान टेलीकॉम प्राइवेट लिमिटेड दूरसंचार लाइसेंस के लिए योग्य नहीं था. ऐसा कुछ पत्रकारों ने मुझे बताया था.’ अग्रवाल ने उनकी रिकॉर्ड की गई बातचीत की लिखित प्रतिलिपि के बारे में भी उनसे पूछा और उन्होंने कहा कि मामले में जांच के दौरान सीबीआई ने इस बातचीत को उन्हें सुनाया था.
उन्होंने यह भी कहा कि स्वान टेलीकॉम प्राइवेट लिमिटेड में हिस्सेदारी के बारे में वह नहीं जानतीं. स्वान टेलीकॉम भी इस मामले में मुकदमे का सामना कर रही है.