पार्टी की तरफ से बयानबाजी नहीं करने के आदेश के बावजूद कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने गुरुवार को माओवादियों पर की गयी अपनी टिप्पणी को जायज ठहराते हुए कहा कि उन्होंने पार्टी महासचिव के तौर पर यह बयान दिया था.
दिग्विजय सिंह ने माओवादी समस्या से निपटने में गृह मंत्री पी. चिदंबरम के रुख की आलोचना की थी. उन्होंने कहा, ‘मैंने अखबार के लेख या अन्य कहीं जो भी कहा था, उसी पर अडिग हूं.’ उन्होंने चिदंबरम को इस मामले में ’बौद्धिक अहंकार से ग्रस्त’ कहा था. दिग्विजय ने कहा कि माओवादियों पर सरकार की रणनीति से संबंधित उनके बयान पार्टी महासचिव और उत्तर प्रदेश के प्रभारी के तौर पर थे.
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में भी माओवादी समस्या है. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘मैं सर्कुलर का स्वागत करता हूं. सभी को इसका पालन करना चाहिए. मैंने जो कहा और मैं जो करता हूं, मैं पार्टी के दिशानिर्देश के बाद हरसंभव ईमानदार रहने की कोशिश करता हूं.’ दिग्विजय के इस बयान से एक दिन पहले ही पार्टी ने अपने नेताओं को कार्यक्षेत्र से परे जाकर नहीं बोलने की नसीहत दी थी.
पार्टी महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने पार्टी नेताओं को एक सकरुलर जारी कर निर्देश दिया था कि अपने कार्यक्षेत्र तक सीमित रहें और परे जाकर नहीं बोलें. हालांकि दिग्विजय ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा गृह मंत्रालय का नेतृत्व करने के लिए चिदंबरम में अपनी आस्था जताना सही है. अखबार में अपने लेख का बचाव करते हुए दिग्विजय ने कहा कि नक्सलवाद पर बहस रास्ते से भटक रही है. {mospagebreak}
उन्होंने कहा, ‘आधे लोगों ने कहा कि वे क्रांतिकारी हैं और आधे लोग कहते हैं कि आतंकवादी हैं. दोनों गलत हैं.’ उन्होंने कहा कि नक्सल प्रभावित इलाकों में लोगों की आकांक्षाएं पूरी होनी चाहिए और वहां सामाजिक-आर्थिक मुद्दों पर ध्यान दिये जाने की जरूरत है. दिल्ली के बाटला हाउस मामले में संदिग्धों के परिवारों से आजमगढ़ जाने के बारे में पूछे गये सवाल पर उन्होंने कहा, ‘एआईसीसी में किसी ने भी इसे अस्वीकृत नहीं किया, जो मैंने कहा था. मैं राज्य के कांग्रेस प्रभारी के तौर पर वहां गया था.’
जब दिग्विजय से पूछा गया कि क्या बटला हाउस मुठभेड़ मामले में सवाल खड़े करने वाले उनके बयान पार्टी दिशानिर्देशों का उल्लंघन है, क्योंकि वह दिल्ली के पार्टी मामलों के प्रभारी नहीं हैं. इस पर उन्होंने कहा, ‘जो लड़के वहां से गिरफ्तार किये गये, वे आजमगढ़ के थे.’ उन्होंने कहा, ‘मैं विश्वास के साथ एआईसीसी के दिशानिर्देशों का पालन करता हूं और इससे हटता नहीं हूं.
प्रत्येक कांग्रेसी को ईमानदारी से हरसंभव तरीके से कांग्रेस के निर्देशों का पालन करना चाहिए.’ केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने की किसी तरह की इच्छा के सवाल पर उन्होंने कहा कि उन्होंने पहले ही स्पष्ट किया है कि वह नवंबर 2013 तक लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे.
उन्होंने कहा, ‘यदि पार्टी मुझे 2014 के लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाती है तो मैं लड़ूंगा लेकिन विधानसभा चुनाव नहीं लड़ूंगा.’ गृह मंत्रालय पर अपनी नजर होने संबंधी अटकलों को उन्होंने काल्पनिक कहकर खारिज कर दिया. उन्होंने कहा, ‘मैं किसी कैबिनेट पद की दौड़ में नहीं हूं.’