उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के शासनकाल में करीब 26 महीने जेल में गुजारने वाले नेता रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया को सूबे का कारागार मंत्री बनाया गया है. राजा भैया बड़ी साफगोई से कहते हैं कि उन्होंने कभी जेल महकमे की मांग नही रखी थी लेकिन हां मन में यह महकमा पाने की ख्वाहिश जरूर थी.
राजा भैया ने पत्रकारों से बातचीत में मंगलवार देर रात कहा, "जेल महकमा मांगा नहीं था लेकिन मन में यह इच्छा जरूर थी कि यह महकमा मिले तो जेल में बिताए गए अनुभव के आधार पर कैदियों की बेहतरी के लिए कुछ कर सकूं."
उन्होंने कहा, "मैं जेल की रग-रग से वाकिफ हूं क्योंकि मैं बसपा सरकार के दो कार्यकालों के दौरान 26 महीने जेल में बिता चुका हूं."
उन्होंने कहा, "जेल में मैंने देखा है कि किस तरह से जुर्माने की रकम न जमा करने की एवज में लोग तय समय से अधिक दिनों तक जेलों में बंद रहते हैं. मेरी कोशिश यही होगी कि जेल में बंद हर कैदी को वे सुविधाएं और अधिकार मिलें जिनके वे हकदार हैं."
उन्होंने कहा कि जुर्माना अदा नहीं करने की वजह से जेलों में बंद लोगों को बाहर निकालने के लिए गैर सरकारी संगठनों की मदद ली जाएगी.
उन्होंने अपराधियों पर निशाना साधते हुए कहा कि रसूख का इस्तेमाल कर जेलों में नजायज तरीके से सुविधा हासिल करना अब आसान नहीं होगा, इसके लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे.
उन्होंने कहा, "जेल मूलत: सुधार गृह होते हैं लेकिन उत्तर प्रदेश में जेलों को यातनागृह में बदल दिया गया है और मुझे यही धारणा बदलनी है. कई बार कैदी इसलिए दम तोड़ देते हैं क्योंकि उन्हें सर्दियों में एक कंबल तक नसीब नहीं होता. खाने के नाम पर जो मिलता है उसका स्तर काफी घटिया होता है."
राजा भैया के रसूख का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि निर्दलीय विधायक होते हुए भी वह सपा की सरकार में कैबिनेट मंत्री का दर्जा पाने में सफल रहे. मायावती ने अपने कार्यकाल के दौरान राजा भैया के खिलाफ कई कड़े फैसले लिए थे जिनकी वजह से उन्हें जेल जाना पड़ा था.