भारत और अमरीका के बीच हुए असैनिक परमाणु समझौते पर आज अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) विचार कर रही है.
माना जाता है कि समझौते को आईएईए की स्वीकृति मिल जाएगी.
भारत-अमरीका परमाणु समझौते का उद्देश्य है परमाणु मामलों में भारत के अलगाव को ख़त्म करते हुए उसे परमाणु प्रौद्योगिकी के अंतरराष्ट्रीय व्यापार से जोड़ना है. लेकिन समझौते को कार्यान्वित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी या आईएईए की सहमति ज़रूरी है. क्योंकि आईएईए के निरीक्षकों की निगरानी से ही ये सुनिश्चित किया जा सकेगा कि भारत अपने रिएक्टरों से परमाणु ईंधन को हथियार बनाने के काम में नहीं लगा रहा है.
भारत-अमरीका परमाणु समझौते को लेकर आईएईए के कुछ सदस्य देश ख़ुश नहीं हैं. जिनमें भारत का पड़ोसी पाकिस्तान भी शामिल है. समझौते से नाख़ुश देशों में से ज़्यादातर की आपत्ति इस बात पर है कि परमाणु अप्रसार संधि या एन.पी.टी. पर हस्ताक्षर किए बिना भारत को परमाणु ईंधन और तकनीक दी जा रही है.
सूत्रों के अनुसार वियना में राजनयिकों का मानना है कि कुछ देशों की आपत्तियों के बावजूद समझौते को आईएईए की मंज़ूरी मिल जाने की पूरी संभावना है, क्योंकि भारत के अपने परमाणु रिएक्टरों के निरीक्षण के लिए राज़ी होने से कुल मिला कर परमाणु सुरक्षा की स्थिति बेहतर ही होगी.