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AN-32 हादसा: क्या टेक्नोलॉजी और अपग्रेड की मार का शिकार हुआ विमान?

भारतीय वायुसेना का एएन-32 विमान सोमवार को असम से उड़ान भरने के 35 मिनट बाद लापता हो गया. विमान में 13 लोग सवार थे और यह अरुणाचल प्रदेश की ओर जा रहा था. इस विमान से ट्रांसपोर्ट का काम लिया जा रहा था जो अरुणाचल के मेचुका में एडवांस लैंडिंग ग्राउंड के लिए निकला था.

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एएन-32 विमान असम से उड़ान भरने के 35 मिनट बाद लापता हो गया.
एएन-32 विमान असम से उड़ान भरने के 35 मिनट बाद लापता हो गया.

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भारतीय वायुसेना का एएन-32 विमान सोमवार को असम से उड़ान भरने के 35 मिनट बाद लापता हो गया. विमान में 13 लोग सवार थे और यह अरुणाचल प्रदेश की ओर जा रहा था. इस विमान से ट्रांसपोर्ट का काम लिया जा रहा था जो अरुणाचल के मेचुका में एडवांस लैंडिंग ग्राउंड के लिए निकला था. मेचुका चीन से सटे अरुणाचल के सियांग जिले का एक छोटा सा शहर है. इसे खोजने के लिए कई अत्याधुनिक विमान लगे हैं. यहां तक कि इसरो भी आगे आया है लेकिन एयरफोर्स के हाथ अब तक कोई सुराग नहीं लग पाया है.

तीन साल पहले 2016 में भी इसी बेड़े का एक विमान (एएन-32) बंगाल की खाड़ी के ऊपर लापता हो गया था. उसकी तलाशी में भी हर वो जतन किए गए जो सेना कर सकती थी मगर अफसोस कि उसका मलबा अभी तक नहीं मिल पाया है. तब सवाल यह उठता है कि 2016 की घटना बंगाल की खाड़ी की थी जहां अपार जलराशि में किसी विमान के लुप्त होने की आशंका हो सकती है लेकिन कल का मामला अरुणाचल का है जहां न तो कोई समुद्री खाड़ी है और न ही अपार जलराशि. फिर विमान क्रैश हुआ तो उसका मलबा कहां गया?

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अभी इस सवाल पर मंथन जारी है. इस बीच एक जानकारी यह सामने आई कि लापता विमान अपग्रेड नहीं था. यानी उसका सॉफ्टवेयर उसी पुरानी तकनीक पर चल रहा था जैसी तकनीक उसे खरीदते वक्त मिली थी. ऐसे में यह आशंका प्रबल हो गई है कि तकनीक की गड़बड़ी से विमान कहीं अपना रास्ता तो नहीं भटक गया? उसे जाना था अरुणाचल लेकिन कहीं और तो नहीं निकल गया? बहरहाल सेना इन गुत्थियों को सुलझाने में लगी है और यह मान कर चलना चाहिए कि जब तक विमान का मलबा न मिल जाए, तब तक उसे क्रैश की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता.

कब सुलझेगी अपग्रेडेशन की गुत्थी

त्रासदी और दुख की इस घड़ी में अपग्रेडेशन का सवाल उठाना सही न हो मगर लोग बेसब्री से यह जानना चाहते हैं कि एयर ट्रांसपोर्ट के इतिहास में कई करतब दिखाने वाला एएन-32 क्या अपग्रेड और तकनीक की मार का शिकार हो गया? आंकड़े कुछ ऐसा ही बयां करते हैं. एएन-32 विमानों के बेड़े को 1980 में रूस (तब का सोवियत यूनियन) से खरीदा गया था. इसमें कुल 105 विमान हैं. इस सौदे में यह भी दर्ज था कि रूस ही इसकी टेक्नोलॉजी को अपग्रेड करेगा. 2009 तक विमान सही उड़ते रहे लेकिन उसी साल भारत ने एएन-32 के अपग्रेडेशन के लिए रूस के साथ एक योजना आगे बढ़ाई. नाम नहीं छापने की शर्त पर एक रक्षा विशेषज्ञ ने बताया कि भारत-रूस के बीच 400 मिलियन डॉलर का करार हुआ था. इसके तहत रूस को विमानों का अपग्रेडेशन करना था, जिससे उनकी उड़ने की क्षमता 40 साल तक बढ़ जाती. उस करार में 46 विमानों की टेक्नोलॉजी का अपग्रेडेशन भी हुआ मगर अधिकांश विमान यूं ही रह गए. असम के जोरहट में जो एएन-32 विमान लापता हुआ है वह भी अपग्रेड नहीं था.

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रूस और यूक्रेन का फंसा पेंच  

सवाल है कि 46 विमान अगर अपग्रेड हुए तो बाकी क्यों इससे वंचित रह गए? ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि सोवियत यूनियन के टूटने से रूस का बंटवारा हुआ और अपग्रेडेशन का जिम्मा यूक्रेन के हिस्से चला गया. मीडिया में कहीं-कहीं यह भी जानकारी है कि एएन-32 के स्पेयर पार्ट्स रूस के पास हैं जबकि इसकी डिजाइन की तकनीक यूक्रेन के पास. अब भारत के सामने यक्ष प्रश्न यह खड़ा हुआ कि वह रूस के साथ जाए या यूक्रेन के साथ. इन दोनों देशों की दुश्मनी में भारत का काम खराब हुआ. उधर रूस-यूक्रेन एक दूसरे से जूझते रहे और इधर एएन-32 अपग्रेडेशन की बाट जोहता रहा. यह सिलसिला लगभग अभी तक जारी है.   

अपडेशन का मामला सुलझा

'द हिंदू' की एक रिपोर्ट बताती है कि एएन-32 के अपग्रेडेशन का मामला लगभग सुलझा लिया गया है. इसकी जानकारी यूक्रेन स्थित एंटोनोव स्टेट कॉरपोरेशन के प्रमुख ने 'द हिंदू' को दी. एएन-32 विमान एंटोनोव कंपनी ही बनाती है. एंटोनोव के प्रेसिडेंट ओलेक्जेंडर डोनेट्स के मुताबिक यूक्रेन एएन-32 के सभी पार्ट्स अगले 2 साल में भारत को सप्लाई कर देगा. अब ये भारत पर निर्भर करता है कि वह विमानों का अपग्रेडेशन कितनी तेजी से कर पाता है. यूक्रेन ने भारत को एएन-32 विमानों की जगह एएन-132 विमानों का बेड़ा देने का भी प्रस्ताव दिया है.

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