राफेल डील को लेकर इन दिनों देश की राजनीति खासी गरमाई हुई है, खासकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस मामले पर लगातार केंद्र सरकार को घेर रहे हैं, लेकिन इसके उलट इस चर्चित विमान पर भारतीय वायुसेना के शीर्ष स्तर के एक अधिकारी ने गुरुवार को उड़ान भरी.
भारतीय वायुसेना के डिप्टी चीफ एयर मार्शल रघुनाथ नांबियार ने फ्रांस में पहली भारतीय राफेल काम्बैट एयरक्रॉफ्ट पर उड़ान भरी. अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस इस विमान का अगले साल सितंबर में भारत आना शुरू हो जाएगा.
नांबियार ने फ्रांस के इसट्रेस एयर बेस से विमान के कॉकपिट में बैठकर उड़ान भरी. विमान ने करीब एक घंटे तक उड़ान भरी. भारतीय वायुसेना की 6 सदस्यीय टीम इस समय फ्रांस में है और डासॉल्ट मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट का दौरा कर रही है.
इसी यूनिट में भारत के लिए राफेल विमान तैयार किया जा रहा है. अगले 67 महीनों में फ्रांस 36 राफेल विमान भारत को देगा जिसकी शुरुआत अगले साल सितंबर से होगी. बाकी विमान पहली डिलीवरी के अगले 30 महीनों में देना है.
कांग्रेस ने मांगा रक्षा मंत्री का इस्तीफा
इस बीच कांग्रेस ने गुरुवार को रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण पर राफेल लड़ाकू विमानों के मामले में देश को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए उनके इस्तीफे की मांग की. कांग्रेस की इस्तीफे की मांग हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के पूर्व प्रमुख टी. सुवर्णा राजू की ओर से निर्मला सीतारमण के उन दावों को खारिज करने के बाद आई है, जिसमें रक्षा मंत्री ने कहा था कि सरकारी स्वामित्व वाली एचएएल के पास लड़ाकू जेट राफेल को बनाने की क्षमता नहीं है.
दूसरी ओर, राफेल सौदे को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार पर अपना हमला जारी रखते हुए कांग्रेस ने बुधवार को नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) राजीव महर्षि से मुलाकात की और सरकार द्वारा 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद को लेकर किए गए सौदे की तत्काल विशेष जांच करने की मांग की.
कांग्रेस 2015 में घोषित हुए इस सौदे की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की भी मांग लगातार करती रही है.
भारत ने फ्रांस के साथ जिन 36 राफेल लड़ाकू विमानों का सौदा किया है उसकी पहली खेप सितंबर 2019 तक आनी है. राफेल की पहली स्कॉवड्रन भारतीय वायुसेना के अबांला स्थित एयरबेस पर तैनात की जाएगी.