भारत की स्पेशल आर्म्ड फोर्स धीरे-धीरे ही सही गुप्त ऑपरेशंस और आतंकवाद से लड़ने के लिए खुद को तैयार कर रही है. रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया है कि 27 करोड़ रुपये में वायु सेना ने अपनी गरुड़ कमांडो फोर्स के लिए 65 खोजी ड्रोन खरीदे हैं. इतना ही नहीं, नौसेना भी मरीन कमांडोज के लिए 2017 करोड़ की लागत से दो अत्याधुनिक सबमरीन बना रही है.
गौरतलब है कि करीब एक दशक पहले श्रीनगर के अवंतीपुरा और गुवाहाटी के एयरबेस पर आतंकी हमलों के बाद ही गरुड़ विमान को सेना में शामिल किया गया था. इन विमानों में 60 कमांडो को ले जाने की क्षमता के साथ ही दुश्मन के रडार और हमलवार विमानों को मार गिराने की भी क्षमता होती है.
एक अंग्रेजी अखाबर की खबर के मुताबिक, अपने आस-पास पांच किलोमीटर की रेंज में सटीक काम करने वाले मैन-पोर्टेबल ड्रोन का इस्तेमाल एयरबेस के इर्द-गिर्द सर्विलांस, आतंकवाद के खिलाफ लड़ने और गुप्त ऑपरेशंस के लिए किया जाएगा. 30 मिनट की ऑपरेशन क्षमता वाले ये नए हल्के ड्रोन फॉरवर्ड लुकिंग इंफ्रारेड तकनीक से भी लैस होंगे.
करगिल युद्ध के बाद शामिल किए गए कई ड्रोन
भारतीय सेना ने 1999 करगिल युद्ध के बाद से कई ड्रोन अपने बेड़े में शामिल किए हैं. इनमें अधिकतर इजरायली हैं. लंबी दूरी के सर्विलांस और सटीक निशाने के लिए हेरॉन और सर्चर-2 का इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके अलावा इजरायल के ही किलर ड्रोन्स भारत के पास हैं, जो क्रूज मिसाइल की तरह काम करते हैं.
भारत ने अपने जंगी बेड़े को कई अत्याधुनिक हथियारों से लैस कर लिया है और दिलचस्प बात यह है कि इस बेड़े को लगातार मजबूत बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी यूएन से लेकर तमाम मंचों पर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को और पुख्ता बनाने पर जोर देते रहे हैं.