आजतक के स्टिंग ऑपरेशन में अखिलेश यादव का सांप्रदायिक सौहार्द का दावा धुल चुका है. आजतक ने शुक्रवार को ही मुख्यमंत्री के दावे की हकीकत दिखा दी थी. अब आजतक ने दूसरा बड़ा खुलासा किया है कि ग्रेटर नोएडा के खनन माफिया कौन हैं और समाजवादी पार्टी के नेताओं की उनसे किस तरह की मिलीभगत है. जानिए 14 जुलाई की वो कौन-सी हकीकत है, जो ग्रेटर नोएडा की आईएएस दुर्गा नागपाल के निलंबन की वजह बनी...
समाजवादी पार्टी के नेता और नरेंद्र भाटी का कुनबा बालू के करोड़ों रुपये के ठेकों में सीधे तौर पर शामिल है. नरेंद्र भाटी के एक खास रिश्तेदार के खिलाफ दुर्गा शक्ति ने मुकदमा दर्ज करा दिया था. इसी मुकदमे की वजह से बाद भाटी परिवार और दुर्गा शक्ति के बीच बालू के ठेकों को लेकर ठन गई.
बात है 14 जुलाई की, जब बालू के ठेकों की नीलामी चल रही थी. नीलामी ग्रेटर नोएडा यानी गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी के दफ्तर में हो रही थी. इसी दफ्तर में तैनात थीं एसडीएम दुर्गाशक्ति. बालू के ठेकों की बोली लगाने के लिए नरेंद्र भाटी का कुनबा और समाजवादी पार्टी के नेता मौजूद थे.
नरेंद्र भाटी के खास रिश्तेदार ओमेंद्र भाटी ने उस दिन सबसे बड़ी बोली लगाई थी और बाद में मुकर गया था. अमन भाटी नरेंद्र भाटी के सगे भाई बिजेंद्र भाटी का बेटा है. बालू के इस ठेके में नरेंद्र भाटी का सगा भतीजा अमन भाटी भी मौजूद था.
समाजवादी पार्टी का जिला उपाध्यक्ष ब्रिजपाल राठी भी वहां था. बालू की बोली लगाने वालों में एक और नेता नरेंद्र नागर भी मौजूद था. आजतक के स्टिंग ऑपरेशन में नरेंद्र भाटी के भाई कैलाश भाटी ने खुलासा किया था कि समाजवादी पार्टी के तमाम नेताओं की आंखों की किरकिरी बन चुकी थी दुर्गा शक्ति.
दरअसल 14 जुलाई को जब बालू की नीलामी के लिए बड़े-बड़े ठेकेदारों को बुलाया गया, तो भाटी का पूरा कुनबा उमड़ पड़ा. नीलामी में ऐसी तिकड़म भिड़ाई गई, देखते ही देखते बाकी ठेकेदार बोली से भाग खड़े हुए.
भाटी के रिश्तेदारों ने एक चली चाल. उसने सबसे बड़ी 8 करोड़ की बोली लगाई, फिर ठेकेदारों को भगाकर बोली से मुकर गए.
इस नीलामी में नरेंद्र भाटी के ये रिश्तेदार बोली लगाने नहीं, साजिश रचने पहुंचे. ओमेंद्र खारी ने ठेका लेने के लिए 8 करोड़ रुपये की सबसे बड़ी बोली लगा दी. इतनी बड़ी रकम सुनकर बाकी ठेकेदार भाग खड़े हुए. बाकी ठेकेदारों को रास्ते से हटाकर खुद ओमेंद्र खारी भी बोली से मुकर गया.
भाटी के कुनबे ने बालू की नीलामी रद्द कराने की चाल तो चल दी, लेकिन निलंबित एसडीएम दुर्गा ने खनन माफिया को उसके ही जाल में घेर लिया. भाटी के रिश्तेदार ओमेंद्र खारी पर मुकदमा कर दिया और इसके बाद से ही अफसर की ईमानदारी खनन माफिया के आंखों की किरकिरी बन गई.
उत्तर प्रदेश के अखिलेश यादव की सरकार की यह सबसे कड़वी सच्चाई दुर्गा शक्ति नागपाल के निलंबन में छिपी है.