"नीतीश कुमार को अब हम भोट क्यों दें? तब की बात और थी, ये पहले वाले नीतीश बाबू तो हैं नहीं..."
पटना निवासी कुमार बाबू एक बैंक में बड़े अधिकारी हैं. एनसीआर में रहते हैं. पूरा नाम शेयर नहीं करना चाहते, लेकिन राजनीति पर खूब बात करना चहते हैं. कल शाम ही पटना से लौटे. नीतीश कुमार से उनका अभी अभी मोहभंग हुआ है.
"बहुत गर्मी पड़ रही है. माथा खराब हो जा रहा है."
पटना में गर्मी मौसम की वजह से ज्यादा लगी या राजनीति के कारण? कुमार बाबू को शायद इसी सवाल का इंतजार रहता है. शुरू हो जाते हैं, निशाने पर कोई और नहीं सिर्फ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं.
"वो तो राव जैसा अफसर था... अरे वो लंबे वाले... केजे राव... वो आए और सबको भोट देने को कहा... वरना कौन जाता था भोट देने..."
चुनाव आयोग के ऑब्जर्वर केजे राव को बिहार के लोग अब भी भूले नहीं हैं.
"भोट देने का कोई फायदा नहीं था , इसलिए कोई पोलिंग बूथ तक जाना नहीं चाहता था. राव के कहने पर वो भी घर से निकला... जो भोट देना फालतू समझता था... क्या डॉक्टर, क्या व्यापारी... सबके सब निकले और जमके भोट डाले ."
सिर्फ एक अफसर के कहने पर, इतना कुछ?
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