बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और लालू प्रसाद की पार्टियों के बीच गठबंधन का मामला किस रास्ते पर बढ़ रहा है? कहीं उसी रास्ते पर तो नहीं जिस पर जनता परिवार की गाड़ी काफी दिनों तक रफ्तार पकड़ी रही?
पासवान की भविष्यवाणी
केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की एक टिप्पणी जो कहीं से भद्र नहीं कही जा सकती, पर सही भविष्यवाणी साबित हुई है. पासवान ने एक मीटिंग में कहा था, 'अगर सौ लंगड़े मिल जाएं, तो भी वे पहलवान नहीं बन सकते हैं.' ये बात उन्होंने जनता परिवार के गठन को लेकर कही थी. पासवान के कटाक्ष को बिहार की मौजूदा सियासत ने हकीकत में बदल दिया.
अचानक एक दिन समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव राम गोपाल यादव सामने आए और जनता परिवार पर ब्रेक लगा दिया. कहा - चुनावों से पहले जनता परिवार का गठन संभव नहीं है. वजह? तकनीकी कारण.
नाउम्मीद नहीं रहे नीतीश
जनता परिवार को लेकर शुरू से ही नीतीश कुमार आश्वस्त नजर आ रहे थे. उस दिन जनता दरबार सकुशल संपन्न कराने के बाद जैसे ही मीडिया से मुखातिब हुए, पहला मुकाबला जनता परिवार से जुड़े सवाल से ही हुआ.
जवाब में नीतीश ने कबीर का दोहा सुनाया- 'धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय, माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आए फल होए.'
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