दिल्ली के निर्भया कांड के बाद सख्त कानून पर लंबी बहस चली थी. कुछ लोग बलात्कारी को फांसी देने के खिलाफ थे. उनका तर्क था कि हमलावर बलात्कार के बाद पीड़ित को मार डालने की कोशिश करेगा. पीड़ित के जिंदा रहते और मौत हो जाने की दोनों ही परिस्थितियों में सजा में फांसी ही मिलती. ऊपर से पीड़ित का जिंदा रहना हमलावर के लिए ज्यादा खतरनाक होता.
करीब तीन साल बाद मद्रास हाई कोर्ट के एक अंतरिम आदेश ने नई बहस को जन्म दे दिया है. कोर्ट का फरमान है कि पीड़ित को एडीआर यानी वैकल्पिक विवाद निपटारे के तहत मध्यस्थता करवानी चाहिए. दरअसल कोर्ट ने सुलह के लिए इस रेप केस को बिलकुल ठीक मामला बताया है.
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