चेन्नई सुपरकिंग्स को आईपीएल कानूनों के मुताबिक बैन कर देना चाहिए. स्पॉट फिक्सिंग के मामले में बीसीसीआई के सभी अधिकारियों को जिम्मेदारी लेनी चाहिए और इस तरह की फिक्सिंग को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए. ये बात आजतक के सीधी बात कार्यक्रम में बीजेपी के सासंद और पूर्व टेस्ट क्रिकेटर कीर्ति आजाद ने कही. कीर्ति आजाद ने कहा कि अगर वो धोनी की जगह होते तो आईपीएल का फाइनल किसी भी हाल में नहीं खेलते.
जब उनसे पूछा गया कि क्या धोनी को एक स्टैंड लेना चाहिए कि टीम का मालिक पकड़ा गया है इसलिए उन्हें भी चेन्नई सुपर किंग में नहीं रहना चाहिए. इस सवाल पर कीर्ति आजाद ने कहा- ‘ये तो आपको धोनी से पूछना चाहिए कि उनका दिल क्या कहता है पर उनकी जगह मैं होता तो मैं नहीं खेलता, मैं कहता मुझे नहीं चाहिए पैसे, जितने कमाने थे कमा लिए, मुझे माफ कीजिए, मैं ये नहीं कर सकता. और अब देखना ये होगा कि आईपीएल की उप कमेटी क्या करती है, उन्हें सबसे बड़ा फैसला लेना है कि क्या आईपीएल कानून के अंतर्गत इस टीम को खिलाना चाहिए.’
क्या बीसीसीआई ने जो जांच कमेटियां बनाई हैं वो किसी निष्कर्ष पर पहुंचेंगी? क्योंकि उसे वही लोग चला रहे हैं जो इस पूरी गड़बड़ी में शामिल हैं. इस पर कीर्ति आजाद ने कहा- ‘ये पहले 2009 में साउथ अफ्रीका में हुआ था. उसके बाद एक बोर्ड कमेटी बनी, जिसकी रिपोर्ट पिछले चार साल से किसी के सामने नहीं आई. सरकार की तरफ से गठित यशवंत सिन्हा कमेटी ने 2010 में जो रिपोर्ट दी उसमें कहा गया कि आईपीएल के अंदर बहुत गोरखधंधा हुआ है. उसमें फेमा का उल्लंघन हुआ. एफबीआई, आरबीआई के उल्लंघन हुए. जिसके तहत 1 हजार 8 करोड़ रुपये देश से बाहर ले जाए गए. जो सरकारी मुलाजिम थे उन्हें सजा मिली, लेकिन बीसीसीआई में आज भी वो लोग बैठे हैं. क्यों वो रिपोर्ट अभी तक सामने नहीं आई.’
एक सवाल के जवाब में कीर्ति आज़ाद ने कहा- ‘1999 में सीबीआई की रिपोर्ट आने पर खिलाड़ियों पर लाइफ टाइम बैन लगा दिया. लेकिन इस बार आपने खिलाड़ियों को केवल सस्पेंड भर किया. उस वक्त मैसेज अच्छा गया था और इसीलिए 2000-2008 तक कोई गड़बड़ी नहीं हुई. क्या सारे अनुशासन केवल खिलाड़ियों के लिए ही हैं. ये अनुशासन ऑफिसर्स के लिए क्यों नहीं या फिर बीसीसीआई के अधिकारियों के ऊपर क्यों नहीं? पारदर्शिता, जवाबदेही और जिम्मेदारी किसकी है? क्रिकेटर तो 50 लाख के लिए बिक जाता है. अपना जमीर 50 लाख के लिए बेच देता है. उसके आगे के लोग 5 करोड़, 50 करोड़, 500 करोड़ और 5,000 करोड़ कमाते हैं, लेकिन जो गोरखधंधा आखों के सामने हो रहा है. उसे रोकने के लिए क्यों कुछ नहीं किया जा रहा.’
क्या नेताओं को क्रिकेट को अलविदा कह देना चाहिए और पेशेवर और पूर्व खिलाड़ियों को ही क्रिकेट चलाना चाहिए? इस पर कीर्ति आजाद ने जवाब दिया- ‘विश्व भर में पेशवर प्रबंधन संघ ही खेल को चलाते हैं लेकिन हिंदुस्तान में ऐसा नहीं होता. आज इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन की मान्यता रद्द कर दी गई है. इस परिस्थिति को देखते हुए बीसीसीआई की भी मान्यता रद्द होनी चाहिए. लेकिन नहीं हो पाती क्योंकि आईसीसी को 80 फीसदी पैसा हिंदुस्तान से ही जाता है. इसलिए वो खुद कुछ करते हुए डरते हैं. नाम तो उनका नरसिम्हा है, लेकिन बिना दांत और बिना नाखून का. वो बेचारा क्या किसी को मारेगा, वो कहने के लिए आईसीसी है जिसे टी-20, वर्ल्ड कप और चैपियन ट्रॉफी करवाने को मिल जाती हैं और वो इसी में खुश हैं. बाकी कमाई तो उसे बीसीसीआई से हो ही जाती है इसलिए वो कुछ नहीं बोलता.’
तो क्या जब तक ये पूरा मामला सुलझ नहीं जाता आईपीएल को बंद कर देना चाहिए? इस सवाल का उत्तर देते हुए कीर्ति आज़ाद ने कहा- ‘खेल क्यों बंद हो, खेल तो वही है. जो खेलने वाले हैं और जो खिलाने वाले यानी एसोसिएशन में जो लोग बैठे हैं ये उनकी जिम्मेदारी है. आज बीसीसीआई में जो लोग बैठे हुए हैं, गड़बड़ कर रहे हैं, एक-दूसरे को छुपाते रहते हैं, राजनीतिक लोग हैं, अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखते हैं और अपनी प्रतिष्ठा के कारण कहते हैं जो जाता है धूल में तो जाए और उसकी कमीज मेरी कमीज से ज्यादा सफेद नहीं होनी चाहिए.’
क्या बीसीसीआई प्रमुख एन. श्रीनिवासन को इस्तीफा देना चाहिए. इस सवाल पर कीर्ति आजाद ने कहा- ‘कितनों का इस्तीफा लेंगे. एन. श्रीनिवासन को ये बात नहीं करनी चाहिए कि मयप्पन का टीम से कोई लेना-देना नहीं है. जब कि ये जाहिर होता है कि उनके पास हर जगह जाने का पास था सिर्फ ड्रेसिंग रुम के. हम श्रीनिवासन पर जा रहे हैं लेकिन उनके पीछे भी कई लोग है जो पीछे से खेलते हैं. महाभारत कौरव और पांडवों के बीच हुआ था, लेकिन उनके पीछे शकुनी मामा भी बैठे थे. जिन्होंने लड़ाई करवाने में अहम भूमिका निभाई.’
जब राहुल कवंल ने उनसे पूछा कि बीसीसीआई और आईपीएल का कानून ही ये कहता है कि कोई भी टीम का मालिक किसी भी गलत गतिविधि में पकड़ा जाता है तो उस टीम को बैन कर देना चाहिए. तो क्या चेन्नई सुपर किंग को भी बैन कर देना चाहिए? इस पर कीर्ति आजाद ने कहा- ‘बिल्कुल, नियमों के अनुसार बैन कर देना चाहिए.’
जब उनसे पूछा गया कि क्या नैतिकता के आधार पर राजीव शुक्ला को भी जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे देना चाहिए? इस पर कीर्ति आज़ाद ने कहा- ‘इनका इस्तीफा बाद में बनता है उससे पहले सवाल बनता है डिसप्लेनरी कमेटी का. और उससे भी पहले बनता है लीगल सेल का, जिन्होंने ऐसे कानून क्यों पहले नहीं बनाए.’
तो आप कह रहे हैं कि अरुण जेटली का इस्तीफा पहले होना चाहिए और बाद में राजीव शुक्ला का? क्योंकि आईपीएल में जो गंदगी है उसे रोक पाने में वो नाकाम रहे हैं. इस पर कीर्ति आजाद ने कहा- ‘अगर सही वक्त पर दवा दे दी जाती तो मरीज बच जाता. अगर पहले रेडियो थेरेपी कर दी जाती तो ट्यूमर कैंसर में नहीं बदलता, लेकिन आज ये कैंसर में तब्दील हो गया है और इसके लिए जो डॉक्टर जिम्मेदार हैं उस पर जुर्माना लगना चाहिए. उन लोगों पर भी जिन लोगों ने कड़ाई से कार्यवाही नहीं की, कानून नहीं बनाए. क्रिकेट में गड़बड़ी होने के 24 घंटे में कार्यवाही होनी चाहिए. इस खेल में आप इंतजार नहीं कर सकते. असद रऊफ पर पिछले साल भी कुछ इल्जाम लगे. तब कुछ नहीं किया. इस बार भी सारी गेम हो गई जब दो मैच बचे तो कहा कि उन्हें मैच मत खेलने दो. आईसीसी ने यहां दोगली बात की. इतने वक्त में तो असद कितनी गड़बडियां कर चुका होगा. खिलाड़ियों को सस्पेंड कर दो, बैन कर दो, ये आसान है पर गड़बड़ करने वाले अधिकारियों पर कार्यवाही करना आसान नहीं.’
वैसे कीर्ति आजाद ने बीसीसीआई के प्रेसिंडेट के लिए कई नाम भी सुझाए जो ना सिर्फ क्रिकेट को करीब से जानते है बल्कि उनके मुताबिक ईमानदार भी हैं. कीर्ति आज़ाद ने कहा- ‘कई ऐसे लोग है जो ईमानदार है, क्रिकेट की सुनते हैं पर मैं उनका नाम लेने से डरता हूं कि कहीं उनके साथ कुछ गलत ना हो, पर शशांक मनोहर एक बेहतरीन इंसान है, संजय जगदाले क्रिकेट को बहुत करीब से जानते है. ये कुछ ऐसे नाम हैं जिन्होंने क्रिकेट को वक्त और इज्जत दोनों ही दी है.’