बिहार के मुख्यमंत्री की लोकप्रियता घट गई है. एक सर्वे में यह बात सामने आई है. इस सर्वे में बताया गया है कि एनडीए से अलग होने के बाद से नीतीश कुमार की लोकप्रियता बहुत कम हो गई है और अगर अभी चुनाव कराये गए तो इसका फायदा लालू यादव की पार्टी आरजेडी को हो सकता है.
हालांकि इस सर्वे में यह भी कहा गया है कि यदि लोकसभा चुनाव अभी होता है तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सबसे अधिक सीटें प्राप्त कर सकते हैं जबकि ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल में सूपड़ा साफ कर देंगी.
सीएनएन आईबीएन- द हिंदू के एक सर्वेक्षण में कहा गया है कि बीजेपी से अलग होने के बाद जेडीयू बिहार में 25 फीसदी वोटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरेगा जबकि राजद को 24 फीसदी वोट मिल सकते हैं. जबकि बीजेपी 22 फीसदी वोट के साथ तीसरे स्थान पर होगी.
हालांकि, इसमें यह भी कहा गया है कि बीजेपी के साथ गठबंधन टूटने पर जनमत जदयू के पक्ष में नहीं है क्योंकि सर्वेक्षण में शामिल किए गए 38 फीसदी लोगों को लगता है कि नीतीश को चाहिए था कि वे नरेन्द्र मोदी को स्वीकार करते तथा 33 प्रतिशत लोग बीजेपी के साथ गठबंधन टूटने के लिए जेडीयू को जिम्मेदार मानते हैं.
वर्ष 2011 से 2013 के दौरान नीतीश कुमार सरकार से संतुष्ट लोगों की संख्या 90 फीसदी से घटकर 69 फीसदी हो गई. वहीं, असंतुष्टों की संख्या नौ फीसदी से बढ़कर 25 फीसदी हो गई है.
सर्वेक्षण के मुताबिक 12 प्रतिशत वोट के साथ नीतीश प्रधानमंत्री पद के लिए सबसे लोकप्रिय गैर कांग्रेस, गैर बीजेपी उम्मीदवार हैं, जबकि मायावती नौ फीसदी और ममता तथा मुलायम को आठ-आठ प्रतिशत वोट मिले.