जिस महाराष्ट्र में अकाल और सूखे से लोग बेहाल हैं, वहां के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार जो टिप्पणी करते हैं, वो आपत्तिजनक तो है ही, बेहद शर्मनाक भी.
दावों की 'बाढ़', मगर प्यासी धरती, प्यासे लोग...
एनसीपी प्रमुख और केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार के भतीजे अजीत पवार ने पुणे में आयोजित एक सभा में कहा ‘जब पानी नहीं तो कहां से मिलेगा, बांध में पानी नहीं तो क्या करें. उन्होंने कहा कि भूख हड़ताल करने से पानी नहीं मिलेगा, क्या पानी-पानी करते हो. नदी में पानी नहीं है तो क्या पेशाब करें.’
बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहा है महाराष्ट्र
उन्होंने कहा ‘एक आदमी 55 दिन से डैम में पानी छोड़ने की मांग को लेकर अनशन कर रहा है, क्या उसे पानी मिला. अब पानी ही नहीं है तो क्या छोड़ें? क्या अब वहां पेशाब कर दें.’
वाह नेताजी वाह, एसी कमरे, बोतलबंद पानी, चौबीस घंटे ऐशोआराम. आपको क्या पता कि पानी के बूंद-बूंद के लिए तरसना क्या होता है. आपको क्या पता बिजली की किल्लत क्या होती है. तंग गलियों में, चिलचिलाती गर्मी के बीच एक दिन बिना पानी और बिना पंखे के रहकर दिखाइए. वैसे आपको इसकी जरूरत भी नहीं और जो जनता मजबूर है, वो रहे उनकी बला से.