भारत 26 सितंबर 2008 को मुंबई पर हुए हमले को भले ही सह गया हो लेकिन अगर फिर से इस तरह का हमला होता है तो भारत और पाकिस्तान के बीच किसी बड़े युद्ध की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है. वाशिंगटन के एक प्रतिष्ठित अनुसंधान समूह ने अमेरिका पर 11 सितंबर को हुए हमले की नौवीं बरसी पर इस बात की चेतावनी दी है.
रिपोर्ट में यह कहा गया है कि मुंबई हमलों की पुनरावृति को रोकना अमेरिकी विदेश नीति के लिए बहुत बड़ी चुनौती है.
वाशिंगटन के द्विदलीय नीति केंद्र के नेशनल सिक्युरिटी प्रीपैर्डनेस द्वारा तैयार की गई 42 पन्नों की यह रिपोर्ट कहती है कि अगले कुछ सालों में अमेरिकी विदेश नीति के लिए पूर्वानुमानित सबसे बड़ी चुनौती मुंबई हमलों की पुनरावृति को रोकना है.
भारत ने 26 सितंबर हमले के बाद की उत्तेजना को जिस तरह काबू किया वह काबिलेतारीफ है लेकिन अगर फिर से इस तरह का हमला होता है तो भारत सरकार पर ‘कुछ करने’ का बहुत ज्यादा राजनीतिक दबाव होगा. इस ‘कुछ’ की परिणति सीमापार के पाकिस्तानी आतंकी समूहों पर हमले के रूप में हो सकती है और इसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बड़ा और व्यापक युद्ध भड़क सकता है.