मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने मंगलवार को कहा कि आईआईटी संयुक्त प्रवेश परीक्षा में बैठने के लिए पात्रता मानक के बारे में कोई भी निर्णय आईआईटी समिति करेगी और इस विषय पर निर्णय लेना सरकार के दायरे में नहीं आता है.
मीडिया में आई खबरें आधारहीन
इस प्रतिष्ठित संस्थान की प्रवेश परीक्षा में बैठने के लिए उनकी ओर से पात्रता के रूप में निश्चित अंक प्रतिशत प्रस्तावित करने के संबंध में मीडिया में आई खबरों को आधारहीन करार देते हुए मंत्री ने कहा ‘‘आईआईटी की प्रवेश परीक्षा में बैठने के लिए पात्रता मानक तय करना आईआईटी का काम है.’’ उन्होंने कहा ‘‘पात्रता मानक तय करने में भारत सरकार की कोई भूमिका नहीं है और आईआईटी संयुक्त प्रवेश परीक्षा में बैठने के लिए पात्रता मानक के रूप में 12वीं कक्षा में 80 प्रतिशत अंक जरूरी होने के बारे में आई कोई भी रिपोर्ट आधारहीन है.’’
खबरों पर सफाई दे रहे थे सिब्बल
सिब्बल मीडिया में आई उन खबरों पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे जिसमें उनका हवाला देते हुए सोमवार को कहा गया था कि आईआईटी संयुक्त प्रवेश परीक्षा में बैठने के लिए पात्रता मानक के रूप में 12वीं कक्षा में 80 प्रतिशत अंक को जरूरी बनाया जा सकता है. सिब्बल ने कहा ‘‘ आईआईटी परिषद की ओर से इस बारे में केवल एक निर्णय किया गया है जिसके अनुसार जेईई को व्यवहारिक बनाने के लिए आईआईटी जनवरी 2010 तक रिपोर्ट पेश करेंगे.’’ उन्होंने कहा ‘‘यह पूरी तरह से उनका निर्णय है कि पात्रता मानक क्या होगा. आईआईटी परिषद ही यह तय करेंगे कि इस बारे में 12वीं कक्षा में क्या मानदंड होंगे.’’ उन्होंने कहा कि सरकार का इस विषय पर कोई दखल नहीं है और मंत्रालय किसी भी स्थिति में, प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कोई निर्णय नहीं कर सकती या निर्णय के लिए प्रस्ताव पेश कर सकती है.
सिब्बल ने नीतीश कुमार की चिंता पर लगाया विराम
गौरतलब है कि मीडिया में आईआईटी संयुक्त प्रवेश परीक्षा के पात्रता मानक के बारे में मीडिया में आई खबरों के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विरोधस्वरूप सिब्बल को पत्र लिखा है. नीतीश कुमार के पत्र का जवाब देते हुए सिब्बल ने कहा कि ‘‘कथित प्रस्ताव अस्तित्व’’ में ही नहीं है. उन्होंने कहा ‘‘इसके मद्देनजर मैं इस संबंध में आपकी सभी तरह की चिंताओं को विराम देना चाहता हूं क्योंकि आपके पत्र में जैसी चिंताएं व्यक्त की गई हैं वैसा कोई प्रस्ताव नहीं है.’’ सिब्बल ने आगे लिखा ‘‘सम्भ्रांत वर्ग के छात्रों को प्रोत्साहित करना और समाज के कमजोर वर्ग के छात्रों के साथ भेदभाव करने की धारणा पूरी तरह से गलत है.’’