आईआईटी संयुक्त प्रवेश परीक्षा देने वाले छात्रों के लिए 12वीं कक्षा में 60 प्रतिशत अंक की पात्रता शर्तों को अगले वर्ष से बढ़ाया जायेगा ताकि छात्र बोर्ड परीक्षा को अधिक गंभीरता से लें.
कोचिंग संस्थाओं पर लगाम लगाना जरूरी
आईआईटी-जेईई परीक्षा देने वाले छात्रों की तैयारी कराने के लिए मशरूम की तरह खुले कोचिंग संस्थाओं पर लगाम लगाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए सरकार ने सोमवार को पात्रता और प्रक्रिया में बदलाव का निर्णय किया है ताकि छात्र 12वीं कक्षा में पढ़ाई पर अधिक ध्यान दें. मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने आईआईटी परिषद की बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा ‘‘अभी आईआईटी-जेईई में उपस्थित होने के लिए 12वीं कक्षा में 60 प्रतिशत अंक की पात्रता शर्त स्वीकार्य नहीं है.
12वीं में लाने होंगे 80 से 85 फीसदी अंक
आईआईटी-जेईई में उपस्थित होने के लिए न्यूनतम पात्रता शर्त के तहत 12वीं कक्षा में 80 से 85 प्रतिशत अंक होने चाहिए.’’ सिब्बल ने कहा कि आईआईटी-जेईई प्रणाली और पाठ्यक्रम के विषय पर ध्यान देने के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया जायेगा और तीन महीने में इसमें होने वाले बदलाव के बारे में सुझाव देगा. इस समिति में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी साचिव टी रामासामी, जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव एम के भान और सीएसआईआर के महानिदेशक समीर ब्रह्मचारी शामिल हैं. सिब्बल ने कहा ‘‘कोचिंग संस्थाएं छात्रों को आईआईटी में प्रवेश के लिए तैयारी कराते हैं. इसके परिणामस्वरूप छात्र 12वीं कक्षा की पढ़ाई को गंभीरता से नहीं लेते क्योंकि उनका अधिक से अधिक ध्यान प्रवेश परीक्षा की तैयारी पर होता है.’’ मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा ‘‘हम कोचिंग सेंटरों से छुटकारा प्राप्त करना चाहते हैं और बोर्ड परीक्षा पर अधिक ध्यान देना चाहते हैं.’’