IL&FS पर वित्त मंत्री अरुण जेटली के राहुल गांधी पर हमले के बाद कांग्रेस ने भी पलटवार किया है. 'इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज' (IL&FS) के मामले में कांग्रेस सांसद केवी थॉमस के एक पत्र का हवाला देकर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राहुल गांधी पर हमला किया. इस पर कुछ ही देर में पलटवार करते हुए कांग्रेस ने कहा कि एक सांसद का पत्र देश का कानून नहीं है, जिसका जेटली अनुसरण करें.
कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि वह विजय माल्या और नीरव मोदी के मामलों की तरह इसमें भी जिम्मेदारी से बचने और 'सांठगांठ वाले अमीरों' को बचाने का काम कर रहे हैं.
One more ‘Shirk Responsibility, Sell Family Silver, Save Cronies’ excuse by FM Jaitley, like in case of 4Ms - Mallya, Modi junior 1&2, Mehul Bhai.
An MP’s a letter is not the law of land for FM to follow.
Proves the desperation on FM’s part to cover up Govt’s thievery. #ILFS https://t.co/0WwOZtXOLT
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) October 1, 2018Advertisement
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, 'एक बार फिर वित्त मंत्री जिम्मेदारी से बचने, देश की बेशकीमती संपत्ति को बेचने और सांठ-गांठ वाले लोगों को बचाने का काम कर रहे हैं, जैसे उन्होंने माल्या, नीरव मोदी, ललित मोदी और मेहुल चोकसी के मामलों में किया.' उन्होंने कहा कि एक सांसद का पत्र देश का कानून नहीं है कि वित्त मंत्री उस पर अमल करें. उन्होंने आरोप लगाया कि इससे 'सरकार की चोरी' को ढकने की छटपटाहट दिखाई देती है.
कांग्रेस का आरोप है कि IL&FS पर 91 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है और सरकार देश के आम नागरिकों के निवेश के पैसे का इस्तेमाल इस कंपनी के लिए प्रोत्साहन पैकेज में करने जा रही है ताकि विदेशी निवेशकों का हित साधा जा सके.
दरअसल, जेटली ने थॉमस का पत्र साझा करते हुए कहा, 'कांग्रेस पिछले कुछ दिनों से निजी कंपनी IL&FS को लेकर सरकार के संभावित कदम के बारे में गलत जानकारी फैला रही है. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को अपने ही पार्टी के नेता से कुछ सीखना चाहिए. वित्त मंत्री ने कांग्रेस नेता थॉमस से जिस पत्र का हवाला दिया उसमें थॉमस ने IL&FS की समस्या के निस्तारण को लेकर सुझाव दिए हैं.
इससे पहले वित्त मंत्री ने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि याद रखा जाना चाहिए कि साठगांठ वाला पूंजीवाद खत्म हो चुका है. उन्होंने कहा कि राजग सरकार चुनौतियों को ठोस और पेशेवर तरीके से हल करती है. जेटली ने सवाल किया कि क्या जब 1987 में सेंट्रल बैंक और यूटीआई ने क्रमश: 50.5 प्रतिशत और 30.5 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ आईएलएफएस को शुरू किया तो वह घोटाला था? 2005 में जब एलआईसी ने इसकी 15 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी और 2006 में 11.10 प्रतिशत का और अधिग्रहण किया तो क्या वह घोटाला था?
उन्होंने लिखा है कि वास्तव में एलआईसी ने 2010 में आईएल-एफएस में 19.34 प्रतिशत हिस्सा और खरीदा. क्या मैं राहुल गांधी घराने की दूषित सोच के अनुसार निवेश के इन सभी कदमों को आज घोटाला बताने लगूं. जेटली ने कहा कि आईएल-एफएस इस समय वित्तीय संकट में है और कुछ कर्जों के भुगतान करने में विफल रही है. सरकार ने सोमवार कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएनटी) की अनुमति से इस कंपनी के निदेशक मंडल पर अपने नामित व्यक्तियों को बिठा दिया. सरकार ने कहा है कि वह बुनियादी ढांचा क्षेत्र का वित्त पोषण करने वाली इस कंपनी को गिरने नहीं देगी.