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इस साल बेहतर मानसून लाएगा अच्छे दिन, टूटेगा दो सालों का रिकॉर्ड, 6 फीसदी अधिक होगी बारिश

देश में इस साल सामान्य से अच्छी बारिश होने का अनुमान है. मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक एल एस राठौड़ ने मंगलवार को बताया कि इस साल 6 फीसदी अधिक बारिश होने का अनुमान है.

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इस साल होगी 6 फीसदी ज्यादा बारिश
इस साल होगी 6 फीसदी ज्यादा बारिश

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देश में इस साल सामान्य से अच्छी बारिश होने का अनुमान है. मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक एल एस राठौड़ ने मंगलवार को बताया कि इस साल 6 फीसदी अधिक बारिश होने का अनुमान है.

उन्होंने कहा कि इस साल देश में मानसून के आसार सकारात्मक लग रहे हैं. पिछले साल 14 फीसदी कम बारिश हुई थी.

टूटेगा दो सालों का रिकॉर्ड
पानी की दिक्कतों से जूझ रहे दस से अधिक राज्यों के साथ ही देश भर के लिए यह अच्छी खबर है. इस साल मानसून बारिश के मामले में दो सालों को रिकॉर्ड तोड़ सकता है. मौसम विभाग के अनुमानों के मुताबिक इस साल 104 से 110 फीसदी अधिक बारिश हो सकती है.

जुलाई से शुरू होगा ला नीना का असर
राठौड़ ने बताया कि इस साल मानसून औसतन 106 फीसदी लंबे रेंज में सामान्य तौर पर बरसेगा. अल नीनो कमजोर हो रहा है और उसके मानसून के बीच में आने की संभावना है. वहीं ला नीना जुलाई से शुरू हो जाएगा. इससे खेती को लेकर बेहद अच्छी संभावनाएं बनती दिख रही हैं. इससे देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी.

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पीने के पानी तक को तरस रहे लोग
महाराष्ट्र के विदर्भ और मराठावाड़ा, यूपी-एमपी के बुंदेलखंड, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना समेत 9 राज्य सूखे की चपेट में हैं. कई राज्यों में सूखे से हालात इतने बदतर हो गए हैं कि लोग पीने के पानी तक को तरस गए हैं और वहां से पलायन करने को मजबूर हैं. सूखे को लेकर देश भर में सरकार, अदालत और सार्वजनिक क्षेत्रों में लगातार बहसें हो रही हैं.

खरीफ फसलों के लिए सरकार ने दिए निर्देश
इससे पहले केंद्र सरकार ने राज्यों को निर्देश दिया कि वे जून से शुरू होने वाले खरीफ सत्र में फसल का रकबा और उत्पादन बढ़ाने की योजना तैयार करें. कृषि सचिव शोभना के पटनायक ने साल 2016-17 के लिए खरीफ अभियान को शुरू करने के लिए एक राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि अल नीनो (समुद्री सतह के तापमान में बदलाव की घटना) के प्रभाव में गिरावट आ रही है. ऐसी उम्मीद है कि इसके बाद ‘ला नीना’ की स्थिति आएगी और जिससे इस साल मानसून बेहतर हो सकता है.

खाद्यान्न उत्पादन पर पड़ा असर
कमजोर मानसून के कारण भारत का खाद्यान्न उत्पादन फसल वर्ष 2014-15 (जुलाई से जून) में घटकर 25 करोड़ 20.2 लाख टन रह गया. बीते साल यह रिकॉर्ड 26 करोड़ 50.4 लाख टन के स्तर पर था.

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बुवाई की पहले से तैयारी करें
देश में 14 प्रतिशत कम बरसात होने के बावजूद चालू फसल वर्ष 2015-16 में उत्पादन मामूली बढ़त के साथ 25 करोड़ 31.6 लाख टन होने का अनुमान है. दो लगातार वर्षों में कमजोर मानसून रहने के कारण देश में कृषि संकट और जल की कमी का संकट हुआ है. कृषि सचिव ने राज्य सरकारों से कहा है कि बीज, उर्वरक और अन्य कृषि लागतों की पर्याप्त उपलब्धता को सुनिश्चित करते हुए धान और दलहन जैसी खरीफ (गर्मी) की फसलों की बुवाई की पहले से तैयारी कर लें.

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