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CJI के महाभियोग पर अब क्या है आगे की राह, इन 10 सवाल-जवाब से समझें

कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करती है तो कौन सी बेंच इस पर सुनवाई करेगी? सीजेआई मास्टर ऑफ रोस्टर हैं. अब उनकी भूमिका क्या होगी? महाभियोग का भविष्य अब क्या होगा, ये बड़ा मुश्किल सवाल हो गया है. मामला इतना पेचीदा हो गया है कि इस पर अब संविधान की नई व्याख्या करने की जरूरत महसूस की जा रही है.

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सीजेआई दीपक मिश्रा
सीजेआई दीपक मिश्रा

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देश के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग खारिज होने के बाद कांग्रेस के रुख ने अब कई पेचीदा सवाल खड़े कर दिए हैं. मसलन कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करती है तो कौन सी बेंच इस पर सुनवाई करेगी? सीजेआई मास्टर ऑफ रोस्टर हैं. अब उनकी भूमिका क्या होगी? महाभियोग का भविष्य अब क्या होगा, ये बड़ा मुश्किल सवाल हो गया है. मामला इतना पेचीदा हो गया है कि इस पर अब संविधान की नई व्याख्या करने की जरूरत महसूस की जा रही है. महाभियोग पर याचिका किस अंजाम तक पहुंचेगी, इसे इन 10 सवालों के जरिए समझा जा सकता है.

पहला सवाल: महाभियोग की प्रक्रिया प्रशासनिक है या विधायी?

सबसे पहले तो ये ही तय करना मुश्किल है कि महाभियोग की प्रक्रिया प्रशासनिक है या विधायी. जहां तक इसके प्रशासनिक होने पर सवाल है, वहां संविधान मौन है. अगर यह मामला विधायी है तो ऐसे में इसके इस्तेमाल का कोई मौका अब तक आया ही नहीं. यानी कोई नजीर ही नहीं मिलती. अगर मामला विधायी है तो न्यायपालिका इसमें दखल ही नहीं देगी और प्रशासनिक है तो ज्यूडिशियल रिव्यू कौन करेगा?

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दूसरा सवाल: कौन सी बेंच करेगी कांग्रेस की याचिका पर सुनवाई?

महाभियोग पर अगर ज्यूडिशियल रिव्यू हो तो बड़ा मुद्दा यह कि सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका की सुनवाई कौन सी पीठ करेगी?  मामला सुप्रीम कोर्ट गया तो वहां यह कौन तय करेगा कि कौन सी पीठ विपक्ष की उस याचिका को सुने जिसमें राज्यसभा के सभापति के कदम को चुनौती दी गई है.

तीसरा सवाल: सीजेआई दीपक मिश्रा खुद पर लगे आरोप की करेंगे सुनवाई?

चूंकि महाभियोग मास्टर ऑफ रोस्टर सीजेआई दीपक मिश्रा पर ही है. ऐसे में सवाल है कि क्या वे खुद ही अपने खिलाफ लाए गए महाभियोग पर दायर याचिका की सुनवाई करेंगे? ऐसा करना तर्क संगत नहीं लगता. ऐसे में फिर वही मुश्किल सवाल की सीजेआई नहीं तो कौन करेगा सुनवाई?

चौथा सवाल: सीजेआई पर आरोप लगाने वाले शीर्ष चार जज की भूमिका?

वरिष्ठता क्रम में सीजेआई के बाद के चार जजों ने इसी साल 12 जनवरी को दीपक मिश्रा पर आरोप लगाए थे. नंबर दो जस्टिस चेलमेश्वर के साथ नंबर तीन जस्टिस तरुण गोगोई, नंबर चार मदन बी लोकुर और नंबर पांच कुरियन जोसफ ने एक साथ मीडिया के सामने आकर खुलेआम सीजेआई पर आरोपों की बौछार की थी. देश के इतिहास में ये पहला मौका था. इसे न्यायपालिका का काला दिन तक करार दे दिया गया था. ऐसे में कांग्रेस की याचिका पर इन चार जजों की बेंच सुनवाई करेंगी, ये भी तर्क संगत नहीं है.

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पांचवा सवाल: सुप्रीम कोर्ट के शीर्ष पांच जज नहीं तो कौन करेगा सुनवाई?

जिन पर आरोप लगा, वे सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और आरोप लगाने वाले उनके ठीक बाद के वरिष्ठ चार जज. यानी वरिष्ठता क्रम में शीर्ष पांच जजों की बेंच याचिका की सुनवाई करे, इस पर संशय. ऐसे में बचते हैं वरिष्ठता क्रम में नंबर छह से नंबर दस तक के जस्टिस. यानी वरिष्ठता क्रम से जस्टिस ए के सीकरी, जस्टिस शरद बोबड़े, जस्टिस आर के अग्रवाल, जस्टिस एम वी रमणा और जस्टिस अरुण मिश्रा ही बचते हैं. तो क्या इन जजों पर याचिका पर सुनवाई की जिम्मेदारी आएगी?

छठा सवाल: सीजेआई तय करेंगे कि कौन करेगा सुनवाई?

चूंकि मास्टर ऑफ रोस्टर सीजेआई दीपक मिश्रा हैं. उनके पास ये अधिकार है कि वे इस मामले को किसी भी बेंच को सौंप सकते हैं. शीर्ष पांच जज याचिका पर सुनवाई करेंगे, इसकी संभावना बेहद कम है. ऐसे में संभावना इस बात की ज्यादा है कि या तो सीजेआई दूसरी बड़ी बेंच बनाएंगे या फिर छठे से दसवें नंबर के जस्टिस इस याचिका पर सुनवाई करेंगे. पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी का भी मानना है कि याचिका पर सुनवाई छठे नंबर के जज करें तो अच्छा होगा.     

सातवां सवाल: क्या महाभियोग का प्रस्ताव खारिज करने के उप राष्ट्रपति के फैसले के बाद राष्ट्रपति के पास जा सकते हैं?

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महाभियोग का फैसला मंजूर करना या न करना उपराष्ट्रपति के विवेक पर निर्भर करता है. उन्होंने अपना फैसला सुना दिया है. ऐसे में राष्ट्रपति के पास जाने का रास्ता भी बंद है. एक मात्र रास्ता सुप्रीम कोर्ट ही है. वहां भी सुनवाई का संकट है कि कौन सी बेंच इसे देखेगी.

आठवां सवाल: लीगल ग्राउंड पर कांग्रेस की याचिका कितनी मजबूत?

उपराष्ट्रपति ने महाभियोग के प्रस्ताव को ठोस सबूतों के अभाव में खारिज कर दिया है. सीजेआई के खिलाफ लगाए गए आरोपों को वेंकैया नायडू ने कोरी कल्पना करार दिया है. अब कांग्रेस को अपनी याचिका दायर करने से पहले साबित करना होगा कि उसके आरोप लीगल ग्राउंड पर भी मजबूत हैं.

नौवां सवाल: अगर कांग्रेस की याचिका पर सुनावाई हुई तो सीजेआई छोड़ेंगे पद?

कांग्रेस मांग कर रही है कि आरोप लगने के बाद अब सीजेआई पद छोड़ दें. कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने तो ऐलान भी कर दिया कि सीजेआई दीपक मिश्रा के पद पर बने रहने तक वे उनकी कोर्ट में नहीं जाएंगे. ऐसे में ये भी सवाल उठ रहे हैं कि क्या दीपक  मिश्रा सुनवाई पूरी होने तक पद छोड़ देंगे? दिल्ली हाईकोर्ट से रिटायर्ड जज एसएन ढींगरा का कहना है कि ये जरूरी नहीं है. सीजेआई चाहें तो वे सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से ये मामला किसी दूसरी बेंच को भेजने के लिए कह सकते हैं.

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दसवां सवाल: क्या उपराष्ट्रपति ने जल्दबाजी में लिया फैसला?

उपराष्ट्रपति के फैसले पर भी बहस हो रही है. कांग्रेस का कहना है कि उपराष्ट्रपति को एक समिति का गठन करना चाहिए था जो आरोपों की जांच करता. कांग्रेस का कहना है कि महाभियोग के प्रस्ताव की शुरुआती प्रक्रिया में सभापति की भूमिका सीमित होती है. उनके प्रस्ताव को बिना जांच कराए ही खारिज कर दिया गया. कांग्रेस का दावा है कि आरोपों के सबूत सीबीआई और अन्य एजेंसियों के पास है. लिहाजा पहले जांच कराना चाहिए था.

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