अब तक हंगामेदार रहे बजट सत्र के बीच गुरुवार को ऊपरी सदन यानी राज्यसभा में कोयला और खनन बिल पेश किया जाएगा. इन दोनों ही बिलों पर हंगामे के आसार हैं, क्योंकि बुधवार को इस ओर पेश की गई सेलेक्ट कमिटी की रिपोर्ट पर राज्यसभा में विपक्ष ने जमकर बवाल काटा था. हालांकि, इस बीच इस बात के भी आसार नजर आ रहे हैं कि सरकार विवादास्पद भूमि अधिग्रहण बिल को पेश करने का इरादा अप्रैल तक टाल दे.
कोयला खनन (विशेष प्रावधान) बिल 2015 पर सेलेक्ट कमिटी की रिपोर्ट बुधवार को राज्यसभा में पेश की गई. रिपोर्ट में कांग्रेस और लेफ्ट के सदस्यों की तरफ से असहमति का नोट पेश किया गया है, लेकिन जब गुरुवार को बिल को चर्चा और पास कराने के लिए पेश किया जाएगा तो किसी भी तरह के संशोधन की पहल नहीं की जाएगी. दोनों बिलों को लोकसभा में पहले ही मंजूरी मिल चुकी है.
गौरतलब है कि खनन और खनिज संशोधन बिल 2015 से जुड़ी सेलेक्ट कमेटी ने बिल में दो संशोधनों में सिफारिश की है. सूत्रों के मुताबिक, राज्यसभा में इस बिल के पास हो जाने के बाद सरकार शुक्रवार को संशोधित बिल को लोकसभा में पास करवा सकती है. इससे पहले बुधवार को जब सदन में दोनों कमिटी की रिपोर्ट पेश की गई तो कांग्रेस सदस्यों ने शिकायत की कि सेलेक्ट कमेटी में सारी प्रक्रियाओं में जल्दबाजी की गई और सरकार खनन लॉबी के दबाव के तहत काम कर रही है. इस मसले पर कुछ सांसद वेल के पास पहुंच गए और इससे राज्यसभा को 10 मिनट के लिए स्थगित भी करना पड़ा.
सेलेक्ट कमिटी की रिपोर्ट का विरोध करते हुए कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद ने बुधवार को सदन में कहा कि रिपोर्ट को स्टैंडिंग कमिटी को नहीं भेजा गया और न ही सही प्रक्रिया अपनाई गई. कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा, 'दोनों कमिटियों की तरफ से औपचारिकताएं और प्रक्रियाएं पूरी नहीं की गईं. सरकार कोल संस्थाओं के दबाव में काम कर रही है और सेलेक्ट कमिटी की प्रक्रिया हड़बड़ी में निपटाई गई है.'
इन दोनों बिलों का पास होना एनडीए सरकार के लिए बेहद अहम है, क्योंकि इनसे जुड़े अध्यादेश 5 अप्रैल को खत्म हो रहे हैं और 20 मार्च को संसद एक महीन के लिए स्थगित हो जाएगी. संसदीय मामलों की कैबिनेट कमिटी ने बुधवार को हुई बैठक में मौजूदा बजट सत्र दो और दिन बढ़ाने (23-24 मार्च) के लिए कार्यमंत्री वेंकैया नायडू को अधिकृत किया. गुरुवार को लोकसभा में कालाधन बिल भी पेश किया जा सकता है.