अगर आप डीजल इंजन वाली कार खरीदने का इरादा रखते हों तो सावधान हो जाइए. सुप्रीम कोर्ट में एक प्रस्ताव आया है कि पर्यावरण को बचाने के लिए डीजल वाहनों पर 30 प्रतिशत टैक्स लगाया जाए ताकि उनकी संख्या बढ़ने न पाए.
एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट को यह कहकर चौंका दिया कि दिल्ली में हर साल 3,000 बच्चों की मौत का सीधा संबंध राजधानी में बढ़ रहे पॉल्यूशन से है. और इसका बड़ा कारण डीजल वाहन हैं.
साल्वे ने कहा कि दिल्ली में डीजल की कीमत सीएनजी की कीमत के बराबर है जिससे यहां डीजल कारों की बिक्री बहुत बढ़ी जिससे यहां की हवा में धुआं भर गया है. इससे यहां के वायु में जहरीले पदार्थ बढ़ गए हैं जो खतरनाक स्तर पर जा पहुंचे हैं.
सुप्रीम कोर्ट की ग्रीन बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है. इसने इस सिलसिले में केन्द्र सरकार, दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान की सरकारों को नोटिस दिया है और उनसे सिर्फ तीन हफ्ते में जवाब मांगा है.
यह रिपोर्ट पर्यावरणविद सुनीता नारायण के जरिये पेश की गई है. इसमें कहा गया है कि 2002-03 में सीएनजी डीजल से 46.71 प्रतिशत सस्ती थी. इसे बाद यह गैप बढ़ता गया और 2004 से 2009 तक में यह बढ़कर 50 प्रतिशत तक हो गया. लेकिन दिसंबर 2013 में यह घटकर 7.35 प्रतिशत हो गया. अब फिर सीएनजी के दाम घटने से फर्क 35प्रतिशत का रह गया है.
इस रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि दिल्ली को प्रदूषण से बचाने के लिए डीजल कारों पर 30 प्रतिशत सरचार्ज लगाया जाए और बसों के रजिस्ट्रेशन फीस को कम किया जाए ताकि लोग उनका ज्यादा इस्तेमाल करें. इससे ही दिल्ली में दिल्ली की हवा की क्वालिटी में सुधार आएगा.