पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने रविवार को गिलगित-बाल्टिस्तान को अंतरिम प्रांत का दर्जा देने का ऐलान किया है. उन्होंने गिलगित में एक रैली को संबोधित करते हुए पाकिस्तान सरकार के फैसले की घोषणा की. इमरान ने कहा कि किसी भी देश की संप्रभुता और एकजुटता को बनाए रखने के लिए आर्मी का मजबूत होना बेहद जरूरी है.
माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री ने विपक्षी मोर्चे पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (PDM) के हमले के बाद अपनी सरकार के बचाव में यह घोषणा की है. दरअसल कुल 11 सियासी दलों ने सितंबर 2020 में लोकतंत्र बहाली की मांग के साथ पीडीपी नाम से एक मोर्चे का गठन किया है और यह इमरान सरकार पर हमलावर है.
इमरान सरकार ने अभी कुछ दिनों पहले ही इस इलाके में चुनाव कराने की घोषणा की थी. हालांकि भारत ने इस घोषणा के खिलाफ अपनी कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी. विदेश मंत्रालय ने नवंबर महीने में होने वाले चुनाव को लेकर कहा कि गिलगित-बाल्टिस्तान इलाके में चुनाव कराकर पाकिस्तान भारत के हिस्से पर अवैध कब्जा नहीं कर सकता है. चुनाव करवाने का फैसला वहां के लोगों के लिए सीधे-सीधे मानवाधिकार उल्लंघन और शोषण का गंभीर मामला है.
विदेश मंत्रालय की तरफ से दिए गए बयान में कहा गया है कि हमें रिपोर्ट मिली है कि गिलगित-बाल्टिस्तान इलाके में 15 नवंबर 2020 को विधानसभा चुनाव करवाए जा रहे हैं. भारत सरकार ने पाकिस्तान के समक्ष अपनी कड़ी आपत्ति जाहिर की है. हमने पाकिस्तान सरकार के सामने अपनी बात दोहराते हुए कहा है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख से जुड़ा पूरा इलाका भारत का है. इसी के तहत गिलगित-बाल्टिस्तान प्रांत भी भारत के हिस्से में आता है. इसलिए पाकिस्तान को भारत के इस क्षेत्र पर अवैध और बलपूर्वक कब्जा करने का कोई अधिकार नहीं है.
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विदेश मंत्रालय ने आगे कहा, 'भारत सरकार ने भी पाकिस्तान के सभी एक्शन को सिरे से खारिज किया है. जिसमें गिलगित-बाल्टिस्तान अमेंडमेंट ऑर्डर 2020 लाया गया है और भारत के इलाके में बलपूर्वक कब्जा करने और वहां का स्टेटस चेंज करने की कोशिश की है. पाकिस्तान द्वारा की जा रही इन हरकतों से वो भारतीय क्षेत्रों पर कब्जे के कुकृत्य को नहीं छुपा सकते और ना ही वहां रह रहे लोगों के मानवाधिकार का उल्लंघन कर सकते हैं. हमलोग पाकिस्तान से मांग करते हैं कि वो जल्द से जल्द भारत के हिस्से वाला इलाके को छोड़े, जिसपर उन्होंने अवैध कब्जा कर रखा है.
कैसे शुरू हुआ विवाद?
ब्रिटेन ने सन 1935 में इस क्षेत्र को लीज पर गिलगित एजेंसी को दे दिया था. जिसके बाद 1947 में जब देश आजाद हुआ तो अंग्रेजों ने इस इलाके को जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह को लौटा दिया. बाद में राजा हरि सिंह ने 31 अक्तूबर 1947 को पूरे जम्मू-कश्मीर का विलय भारत में कर दिया. इसके बाद गिलगित-बाल्टिस्तान के स्थानीय कमांडर कर्नल मिर्जा हसन खान ने 2 नवंबर 1947 को विद्रोह कर दिया. पाकिस्तान ने मौके का फायदा उठाते हुए हमला कर दिया और इलाके पर अपना कब्जा जमा लिया.
संयुक्त राष्ट्र द्वारा सीजफायर घोषित करने के बाद से पाकिस्तान इस इलाके पर अपना कब्जा जताता रहा लेकिन भारत हमेशा इसे अपना क्षेत्र बताता रहा है. भारत का यह भी तर्क है कि अगर गिलगित-बाल्टिस्तान उनका होता तो पाकिस्तान इसे पांचवां प्रांत घोषित करता और इलाके में अपना संविधान लाता. पाकिस्तान में कुल चार प्रांत हैं- बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा, पंजाब और सिंध. जाहिर है इमरान खान इसी तर्क के तहत इस इलाके में चुनाव करवाकर अपना संविधान लागू करना चाहते हैं.