देश के अलग-अलग हवाई अड्डों पर बीते 8 साल में एयर इंडिया के 58 पायलट उड़ान से पहले नशे में पाए गए. इन डराने वाले आंकड़ों का और किसी ने नहीं बल्कि खुद एयर इंडिया ने एक आरटीआई के जवाब में खुलासा किया है. ये आरटीआई इंडिया टुडे की ओर से दाखिल की गई थी.
नागरिक उड्डन महानिदेशालय (DGCA) की ओर से साफ प्रक्रिया तय है जिसके तहत एयरक्राफ्ट के साथ जाने वाले चालक दल के सदस्यों का मेडिकल निरीक्षण कर पता लगाया जाता है कि कहीं उन्होंने अल्कोहल वाले ड्रिंक का सेवन तो नहीं कर रखा.
इस प्रक्रिया के मुताबिक चालक दल के सदस्यों पर फ्लाइट से पहले 12 घंटे तक किसी तरह की भी अल्कोहल वाली ड्रिंक लेने पर पाबंदी है.
एयरलाइन ने नियमों के मुताबिक कई निषेधात्मक कदम उठाए लेकिन इनका कोई खास असर नहीं हुआ लगता. ऐसी घटनाओं में साल-दर-साल इजाफा ही होता गया है. 2010 में सिर्फ एक ही पायलट मुंबई हवाई अड्डे पर फ्लाइट से पहले नशे में पकड़ा गया था. वहीं 2018 खत्म होने में तीन महीने अभी बाकी है और अब तक 10 पायलट नशे में पकड़े जा चुके हैं.
इंडिया टुडे की ओर से सवाल पूछा गया कि जो पायलट नशे में पकड़ गए, उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई, इसके जवाब में एयर इंडिया ने कहा, “उपरोक्त जो भी पायलट ड्यूटी पर नशे में रिपोर्ट करते पाए गए, उन्हें DGCA की तय प्रक्रिया के तहत दंडित किया गया.”
DGCA की ओर से नियमों के उल्लंघन वाले ऐसे दोषी पायलटों के लिए दंड तय हैं. जब चालक दल का कोई सदस्य ब्रेथ एनेलाइजर टेस्ट में पॉजिटिव पाया जाता है या पहली बार टेस्ट में नाकाम रहता है तो उसका लाइसेंस तीन महीने के लिए निलंबित कर दिया जाता है. कोई दूसरी बार उल्लंघन करता है तो उसका लाइसेंस तीन साल के लिए निलंबित किया जाता है. तीसरी बार उल्लंघन पर हमेशा के लिए लाइसेंस रद्द कर दिया जाता है.