नरेंद्र मोदी की बच्चों से जुड़ने की चाहत को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पूरा करने में जी जान से जुटा हुआ है. मुंबई का बांद्रा हिंदू स्कूल आरएसएस के कार्यकर्ता चलाते हैं. यहां गांधी जयंती पर एक ड्रॉइंग प्रतियोगिता कराई गई, जिसमें स्कूल के हर बच्चे का भाग लेना अनिवार्य था. मजेदार बात ये है कि बच्चों को सिर्फ नरेंद्र मोदी की ड्रॉइंग बनानी थी. नरेंद्र मोदी की सबसे बेहतर तस्वीर बना कर 15 साल के सोहैल शेख विजेता बने.
1992 में स्थापित हुए इस स्कूल के मैनेजमेंट में तीन चौथाई सदस्य आरएसएस के कार्यकर्ता हैं लेकिन स्कूल के 75 फीसदी छात्र मुस्लिम हैं. स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे काफी गरीब घरों से आते हैं. गांधी जयंती पर आयोजित ड्रॉइंग प्रतियोगिता का पुरस्कार समारोह खत्म हुआ एक कविता पाठ से. अब जरा इस कविता की पंक्तियां पढ़िए. 'लूट के ले गया दिल-जिगर, मोदी जादूगर'. बांद्रा हिंदू एसोसिएशन के सचिव अजित मनियाल से जब अंग्रेजी अखबार 'इंडियन एक्सप्रेस' ने बात की तो उन्होंने कहा, 'मोदी ऋषि की तरह सोचते हैं और कॉरपरेट लीडर की तरह काम करते हैं. भारतीय मूल्यों के लिए उनका समर्पण और शिक्षा के प्रति उनकी सोच उन्हें स्वामी विवेकानंद जैसा बनाती है और इस मामले में वो जवाहरलाल नेहरू से बेहतर हैं'.
स्कूल की दीवारों पर मोदी द्वारा कही गई बातें लिखी हैं. हर क्लासरूम में मोदी की तस्वीर लगी है. मोदी के जन्मदिन पर स्कूल में उनकी लंबी उम्र के लिए प्रार्थना की गई और बच्चों को मोदी का मुखौटा बांटा गया. मनियाल इन बातों को सही ठहराते हुए कहते हैं कि मोदी से बेहतर आदर्श इन गरीब घरों से आए बच्चों के लिए कोई नही हो सकता. मोदी भी छोटी शुरुआत से आज यहां तक पहुंचे हैं, बच्चें भी मोदी जैसा बन सकते हैं.