सरकार ने एक अध्यादेश जारी कर बीमा नियामक इरडा और पूंजी बाजार नियामक सेबी के बीच का विवाद समाप्त कर दिया है. इसमें व्यवस्था दी गई है कि यूलिप और ऐसे उत्पाद जीवन बीमा कारोबार का हिस्सा होंगे.
राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने कल देर शाम इस संबंध में अध्यादेश जारी कर रिजर्व बैंक, बीमा, सेबी और प्रतिभूति अनुबंध नियमन अधिनियम में संशोधन कर दिया है. इसमें स्पष्ट किया गया है कि यूनिट लिंक्ड बीमा उत्पाद और स्क्रिप्स तथा ऐसे अन्य उत्पाद जीवन बीमा कारोबार का हिस्सा होंगे.
वित्त मंत्रालय के यहां जारी एक वक्तव्य में कहा गया है कि अध्यादेश के जरिये किये गये इन संशोधनों के बाद यूलिप के अधिकार क्षेत्र को लेकर सेबी और इरडा के बीच पिछले दो महीने से जारी विवाद और इससे जुडे मुद्दे समाप्त हो गये हैं. इरडा और सेबी के बीच का यह विवाद उच्चतम न्यायालय में पहुंच गया था.
यूलिप बीमा और निवेश का मिला जुला उत्पाद है. निजी क्षेत्र की जीवन बीमा कंपनियां इन उत्पादों के जरिये काफी धन जुटाकर उसे शेयर बाजार में निवेश करती रही हैं. बडे पैमाने पर पूंजी बाजार में निवेश के कारण सेबी इन्हें अपने अधिकार क्षेत्र में लाना चाहता था जबकि बीमा कंपनियों का उत्पाद होने के कारण इरडा इनपर अपना अधिकार मानता है.
बहरहाल, सरकार ने वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति का गठन भी किया है जो कि मिश्रित उत्पादों के अधिकार क्षेत्र संबंधी मुद्दों को निपटायेगी. इस समिति में वित्त सचिव, वित्तीय सेवाओं के सचिव, जिर्व बैंक, इरडा, सेबी और पेंशन कोष नियामक पीएफआरडीए के प्रमुख शामिल किये गये हैं. जीवन बीमा कंपनी मैक्स न्यूयार्क लाइफ के सीईओ एवं प्रबंध निदेशक राजेश सूद ने इसका स्वागत करते हुये कहा ‘‘अध्यादेश से यूलिप और बीमा व्यवस्था वाले अन्य उत्पादों की स्थिति स्पष्ट हो गई है.’’ मिश्रित उत्पादों पर निर्णय के लिये उच्चस्तरीय समिति के गठन से नियमन संबंधी मामलों को निपटाने में मदद मिलेगी.
अप्रैल में सेबी ने 14 जीवन बीमा कंपनियों को यूलिप उत्पाद जारी करने पर रोक लगाकर सबको चौका दिया था. इरडा ने इसका जमकर विरोघ किया. इरडा ने कहा कि यूलिप बीमा उत्पाद है इसलिये सेबी इसपर रोक नहीं लगा सकती. मामला वित्त मंत्रालय में पहुंचा और उसके बाद न्यायालय में. बहरहाल, अध्यादेश जारी होने के बाद स्थिति काफी कुछ स्पष्ट हो गई है. बीमा कंपनियों के कुल कारोबार में यूलिप का 50 प्रतिशत से भी अधिक हिस्सा होता है. इसके तहत बीमा धारकों से धन जुटाकर उसे इक्विटी में निवेश किया जाता है.